दो साल में कलेक्टरों को आधा दर्जन निर्देश...फिर भी बंद नहीं हुए बोरवेल
भोपाल। रीवा जिले की त्योंथर तहसील के मनिका गांव में शुक्रवार शाम करीब 4:30 बजे खेत में गिरी गेहूं की बालियां बीनते समय छह साल का मयंक कोल 60 फीट गहरे बोरवेल में गिर गया। शनिवार को दूसरे दिन भी उसे बचाने की जद्दोजहद जारी रही। जून 2022 में ओरछा के नारायणपुरा में बोरवेल में चार वर्ष के दीपेंद्र के गिरने की घटना के बाद तत्कालीन गृह मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने कहा था कि इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए कानून बनाया जाएगा। इसमें राहत कार्य में होने वाले व्यय को वसूलने का प्रावधान भी रहेगा। इसके बाद 17 मार्च 2023 को विदिशा में 60 फीट गहरे बोरवेल में लोकेश नामक मासूम गिर गया था। सरकार ने तब बोरवेल खुला छोड़ने के खिलाफ सख्त कानून बनाने की बात कही थी। जानकारी के अनुसार, पिछले दो साल में शासन खुले बोरवेल बंद कराने को लेकर कलेक्टरों को आधा दर्जन बार गाइडलाइन और निर्देश जारी कर चुका है, लेकिन अमल नहीं हुआ। हालिया निर्देश 7 फरवरी को ही पीएचई के सचिव द्वारा जारी किया गया था।
वर्तमान कानून में कलेक्टर कर सकते हैं कार्रवाई
वर्तमान में खुले बोरवेल की वजह से होने वाली दुर्घटनाओं को रोकने के लिए सरकार के पास कोई स्पष्ट नीति-नियम नहीं हैं। लेकिन कलेक्टर चाहें तो खुले बोरवेल मालिक के खिलाफ कार्रवाई कर सकते हैं।
दो साल में कुछ प्रमुख घटनाएं
- जनवरी 2022 में छतरपुर जिले में दीपेंद्र नाम का बच्चा 30 फीट गहरे बोरवेल में गिर गया, जिसे साढ़े सात घंटे की मेहनत के बाद सुरक्षित निकाला जा सका।
- दिसंबर 2022 में बैतूल में बोरवेल में गिरने से बच्चे की जान चली गई।
- मार्च 2023 में विदिशा में 60 फीट गहरे बोरवेल में लोकेश की गिरने से मौत हो गई।
- जून 2023 में ढाई साल की बच्ची सृष्टि मुंगावली में खेलते-खेलते एक गहरे बोरवेल में जा गिरी थी। बच्ची को बचाया नहीं जा सका।
- दिसंबर 2023 में राजगढ़ के पिपलिया रसोदा गांव में माही नाम की बच्ची बोरवेल में गिर गई। बच्ची को बचाया नहीं जा सका।
30 घंटे से बोरवेल में मयंक, बचाने की जद्दोजहद जारी
त्योंथर के मानिकगांव में बोरवेल में गिरे 6 साल के मयंक को अब तक बाहर नहीं निकाला जा सका है। उसे बोरवेल में फंसे हुए करीब 30 घंटे हो चुके हैं। एनडीआरएफ की टीम सुरंग बनाकर बच्चे तक पहुंचने की कोशिश कर रही है लेकिन सफलता नहीं मिली है। ऐसे में बच्चे की हालत को लेकर चिंता बढ़ती जा रही है। जानकारी के अनुसार 60 फीट की गहराई के बाद निकला पानी दिक्कत का कारण बन रहा है।
पंचायतों और पीएचई के बोरवेल बंद कराए गए
पंचायत, नगरीय निकाय और पीएचई सहित अन्य सरकारी विभागों के खुले बोरवेल बंद करा दिए गए हैं। सभी जिलों के कार्यपालन यंत्रियों से इस संबंध में रिपोर्ट मंगा ली गई है। निजी जमीनों पर जो खुले बोरवेल हैं, उनके भूमि स्वामियों की जानकारी मांगी गई है। इसके अलावा 7 फरवरी को सभी कलेक्टरों को नलकूप,बोरवेल, ट्यूबवेल में बच्चों के गिरने से होने वाली दुर्घटनाओं को रोकने संबंधी दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं। - पी. नरहरि, सचिव, पीएचई