चीन में घर खरीदारों ने लोन रीपेमेंट करने से किया मना

चीन में घर खरीदारों ने लोन रीपेमेंट करने से किया मना

नई दिल्ली। चीन का रियल एस्टेट संकट गहरा गया है। 100 से ज्यादा शहरों में घर खरीदारों ने लोन का रिपेमेंट करने मना कर दिया है। स्थितियां लगातार बिगड़ती जा रही हैं। प्रोजेक्ट पूरा होने में देरी नाराजगी की वजह है। इन्होंने इन प्रोजेक्टों में घर बुक कराए हैं। डेवलपर इन्हें समय से पूरा नहीं कर पाए हैं। कई तो दीवालिया हो गए हैं।

बड़ी संख्या में प्रोजेक्ट अधूरे : चीन में बड़ी संख्या में प्रोजेक्ट अधूरे पड़े हैं। कोरोना की पाबंदियों के कारण इनके पूरे होने का रास्ता भी नहीं बन पा रहा है। समय से प्रोजेक्ट पूरा न होने से घर खरीदारों का धैर्य टूट गया। जुलाई में हजारों चीनियों ने कह दिया कि वे होम लोन का रिपेमेंट नहीं करेंगे। डिलीवरी होने के बाद ही वे लोन का रिपेमेंट करेंगे। बायकॉट की शुरूआत हेनान प्रांत से हुई। बाद में बहिष्कार की यह चिंगारी हुनान, हुबी, शानशी और 100 से ज्यादा प्रांतों में फैल गई। करीब एक साल पहले चीन के प्रॉपर्टी डेवलपर्स ने अरबों डॉलर के लोन लौटाने में डिफॉल्ट कर दिया था। इससे चीन के पूरे प्रॉपर्टी मार्केट पर संकट के बादल छा गए।

चीन के रियल एस्टेट सेक्टर पर 300 अरब डॉलर का बोझ

चीन ने आर्थिक रतार को बढ़ाने के लिए रियल एस्टेट डेवलपमेंट पर फोकस किया था। इसके तहत आसान शर्तों पर लोन दिया जाने लगा। रियल एस्टेट सेक्टर की कंपनियों ने इस मुहिम का फायदा उठाया। भारी-भरकम लोन लेकर उन्होंने कई बड़े प्रोजेक्ट शुरू कर दिए। यह और बात है कि इनमें कई प्रोजेक्ट व्यावहारिक नहीं थे। इससे सेक्टर को नुकसान होने लगा। कई टाउनशिप बनकर खड़े हो गए, जबकि रहने वाला एक आदमी नहीं था। इस कारण कंपनियों के आगे के प्रोजेक्टों पर असर पड़ा। नौबत यह आ गई कि आज के दिन कई लोन न चुका पाने के कारण दीवालिया होने की कगार पर हैं या हो गई हैं। चीन के रियल एस्टेट सेक्टर पर 300 अरब डॉलर का बोझ है।

रियल एस्टेट सेक्टर पर 2.5 लाख करोड़ रु. का लोन

भारत में भी हालात बहुत अलग नहीं हैं। देश में रियल एस्टेट सेक्टर पर करीब 2.5 लाख करोड़ रुपए का बोझ है। इस लोन में करीब 63 फीसदी हिस्सेदारी गैर-बैंकिंग फाइनेंसिंग कंपनियों (एनबीएफसी) और हाउसिंग फाइनेंस कॉरपोरेशंस (एचएफसी) की है। बाकी का 37 फीसदी बोझ बैंकों पर है। कंपनियों को बांटा गया 90 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का कर्ज मुकदमेबाजी में फंसा हुआ है। 300 रियल एस्टेट मामलों में एनसीएलटी (नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल) का दरवाजा खटखटाया गया है। हालांकि, इन सभी बातों के बावजूद कोरोना के बाद घरों की बिक्री बहुत ज्यादा नहीं घटी है।