माता-पिता के साथ नहीं रहने वाले पति की पत्नी करती है ज्यादा पिटाई
नई दिल्ली। हाल ही में राजस्थान में एक सरकारी स्कूल के प्रिंसिपल पति वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें पत्नी पति को क्रिकेट बैट से पीट रही थी। वीडियो के वायरल होने पर देश में बहस छिड़ गई है कि क्या पुरुष भी घरेलू हिंसा के शिकार हो रहे हैं। इसका जवाब नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-5 (एनएफएचएस-5) ने अपने सर्वे में दिया है। जिसके अनुसार देश में करीब 4% महिलाएं ऐसी हैं, जिन्होंने कभी न कभी अपने पति के साथ घरेलू हिंसा की है। उन्होंने ऐसा तब किया है, जब उनके पति ने उनके साथ कोई घरेलू हिंसा नहीं की थी। यानी विरोध में उन्होंने ऐसा नहीं किया है। सर्वे में 2019-2021 की रिपोर्ट के अनुसार ऐसे पति-पत्नी जो न्यूक्लियर फैमिली (केवल पति-पत्नी और उनके अविवाहित बच्चे) में रहते हैं। उनमें महिलाएं पति के साथ घरेलू हिंसा करती है। सर्वे में न्यूक्लियर फैमिली में रहने वाली 3.9% महिलाओं ने कभी न कभी अपने पति के साथ हिंसा की है, जबकि संयुक्त परिवार या गैर न्यूक्लियर फैमिली में 3.3% महिलाओं ने पति के साथ हिंसा की है। सर्वे में खुलासा हुआ है कि 3% महिलाएं ऐसी हैं, जिन्होंने पिछले 12 महीने में अपने पति के साथ हिंसा की है।
जतने कम पढ़े-लिखे कपल, उतनी होती है पिटाई
सर्वे के अनुसार पति के खिलाफ शारीरिक हिंसा या घरेलू हिंसा के मामले में शिक्षा के स्तर की भी अहम भूमिका रही है। मसलन ऐसे पति-पत्नी जिसमें पति ने ज्यादा पढ़ाई की है, उनके साथ हिंसा करने वाली पत्नियों की संख्या 3.1 फीसदी है। लेकिन जहां पर पति से ज्यादा महिलाएं पढ़ी हुई हैं, वहां हिंसा करने वाली पत्नियों की संख्या 3.7 फीसदी है। जबकि ऐसे मामले जिसमें पति और पत्नी दोनों पढ़े नहीं हैं, वहां पर 5.6 फीसदी पत्नियां हैं, जिन्होंने अपनी पति के साथ हिंसा की है।
एनीमिया पर एनएफएचएस-5 का दावा- देश में खून की कमी से पीड़ित हैं 67% बच्चे
इधर नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-5 में एक और चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। सर्वे के अनुसार देश में खून की कमी (एनीमिया) से ग्रस्त बच्चों की संख्या में भारी इजाफा हुआ है। 2015-16 में जहां 6-59 महीने की उम्र के 58.6% बच्चे एनीमिक थे, वहीं 2019-21 में यह बढ़कर 67.1% पहुंच गया। यदि बड़े राज्यों की बात करें तो सबसे समृद्ध गुजरात में एनीमिक बच्चे सबसे ज्यादा करीब 80% दर्ज किए गए हैं। सर्वाधिक शिक्षित राज्य केरल में सबसे कम 39% बच्चे एनीमिक मिले हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि मां और शिशु को भरपूर पोषक आहार नहीं मिलना इस समस्या का प्रमुख कारण है। नौ प्रतिशत की बढ़ोतरी बताती है कि हालात पहले से बदतर हो रहे हैं। रिपोर्ट के अनुसार 2019-21 के दौरान शहरों में 64.2% और गांवों में 68.3% बच्चे खून की कमी से ग्रस्त थे। यानी उनके रक्त में हिमोग्लोबिन की मात्रा 11 ग्राम/प्रति डेसीलीटर से कम पाई गई। गांव शहर को मिलाकर यह प्रतिशत 67.1% बैठता है।
सर्वे में खास बातें, जहां हिंसा के शिकार हुए पति
4.8 फीसदी सबसे निचले आय वर्ग में पतियों ने हिंसा झेली
3.8 फीसदी मध्यम वर्ग में पति हिंसा के बने शिकार।
2.1 फीसदी उच्च आयवर्ग में भी पति सुरक्षित नहीं, हिंसा हुई।
राज्यवार एनीमिया से ग्रस्त बच्चों का प्रतिशत (6-59 माह)
राज्य शहर गांव कुल
गुजरात 77.6 81.2 79.7
बिहार 67.9 67.7 69.4
झारखंड 65.5 67.9 67.5
ओडिशा 56.2 65.6 64.2
मप्र 72.5 72.7 72.7
महाराष्ट्र 66.3 70.7 68.9
हरियाणा 68.1 71.5 70.4
उप्र 65.3 66.7 66.4
उत्तराखंड 63.8 56.6 58.8
पश्चिम बंगाल 63.3 71. 1 69
दिल्ली 68.7 81.7 69.2
केरल 38.9 39.8 39.4