मन में ठान लें तो चंद्रयान-3 जैसे मिशन सफल हो जाते हैं
विज्ञान मेले में इसरो के चंद्रयान-3 के प्रोजेक्ट डायरेक्टर डॉ. पी. वीरामुथुवेल, वंदे भारत के चीफ आर्किटेक्ट सुधांशु मणि और एम्स दिल्ली की डॉ. रमा जयासुंदर को उत्कृष्ट कार्यों के लिए सम्मानित किया गया। इस मौके पर पी. वीरामुथुवेल ने कहा कि मन में ठान लें तो चंद्रयान-3 जैसे मिशन सफल हो जाते हैं। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री ओमप्रकाश सकलेचा के सम्मान समारोह में न पहुंच सकने के कारण कार्यक्रम दो घंटे देर से शुरू हुआ। फिर यह सम्मान आरजीपीवी के कुलपति प्रो. सुनील कुमार ने दिया। विज्ञान मेले का समापन 18 सितंबर को होगा।
अब डीप स्पेस को लेकर कर रहे हैं स्टडी: पी. वीरामुथुवेल
नासा और दुनिया की अन्य स्पेस एजेंसी डीप स्पेस को एक्सप्लोर करने अल्टरनेट एनर्जी पर काम कर रहीं हैं, क्योंकि हम स्पेस में जितना गहरे जाते जाएंगे, सोलर एनर्जी से उतने ही दूर होते जाएंगे। इसमें सबसे अच्छा विकल्प रेडियो आइसोटोप थर्मोइलेक्ट्रिक जनरेटर्स (आरटीजी) एनर्जी प्रमुख है। न्यूक्लियर रिसोर्सेज पर आधारित इस एनर्जी को लेकर विश्व की कई स्पेस एजेंसी काम कर रही हैं। इसरो भी इसको लेकर कुछ स्टडी कर रहा है, जिसे अभी बताया नहीं जा सकता है। यह कहना था, चंद्रयान- 3 के प्रोजेक्ट डायरेक्टर पी. वीरामुथुवेल का। रविवार को वे भेल दशहरा मैदान में आयोजित 10 वें भोपाल विज्ञान मेले में पहुंचे थे। इस अवसर पर उन्होंने इसरो और चंद्रयान-3 को लेकर चर्चा की साथ ही उन्होंन इस मौके पर स्टूडेंट्स से भी बात की।
22 सितंबर को हमें मिल सकता है बोनस रिजल्ट
पी. वीरामुथुवेल ने बताया कि चंद्रमा पर फिलहाल रात चल रही है और 22 सितंबर को वहां सूर्य का उदय होगा। चंद्रयान-3 सोलर एनर्जी पर बेस्ड है और उसका लैंडर ‘विक्रम और रोवर प्रज्ञान’ फिलहाल स्लीप मोड में हैं। वैसे तो मिशन का मुख्य कार्य शुरुआती 14 दिनों के लिए ही था, लेकिन 22 सितंबर को दोबारा से सूर्य की ऊर्जा दोबारा पहुंचेगी तब देखना होगा कि लैंडर और रोवर क्या रिएक्ट करते हैं। हमने अपना टारगेट अचीव कर लिया है, बाकी जो एक्सट्रा हो हमारे लिए बोनस की तरह होगा।