नॉर्थ बेल्ट में फेमस होना है तो साउथ एक्टर्स को हिंदी सीखनी ही पड़ेगी

नॉर्थ बेल्ट में फेमस होना है तो साउथ एक्टर्स को हिंदी सीखनी ही पड़ेगी

 फिल्म इंडस्ट्री में एक ट्रेंड चलता है इसमें पहले आता है, ट्रेजेडी ट्रेंड फिर कॉमेडी, हॉरर ट्रेंड और इसी तरह आखिर में पॉलिटिकल ट्रेंड आता है। प्रोड्यूसर्स अपनी फिल्मों को हिट कराने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं, इसलिए सेंसर बोर्ड को भी फिल्म रिलीज से पहले यह समझने की जरूरत है कि कहीं फिल्म में यूथ को गलत मैसेज तो नहीं जा रहा है। अगर ऐसा लगता है कि उन सीन को कट करने का काम उनका है। यह कहना था, साउथ के सुपर विलेन सुमन तलवार का। जो एलएनसीटी विश्वविद्यालय के सभागार में वरिष्ठ नागरिक मंच मप्र आयोजित कलचुरी कलार समाज के निशुल्क सामूहिक विवाह समारोह में शामिल होने पहुंचे थे। इस दौरान आईएम भोपाल से खास बातचीत की। उन्होंने रजनीकांत के साथ शिवाजी: द बॉस और अक्षय कुमार के साथ गब्बर सहित 600 फिल्मों में काम किया है।

मदर टंग को प्रेफरेंस देना जरूरी

बॉलीवुड एक्टर अजय देवगन और कन्नड़ एक्टर किच्चा सुदीप के बीच ट्विटर पर छिड़ी जंग चर्चा में है। दोनों के बीच हुए विवाद का सेंटर पॉइंट 'हिंदी भाषा' है। विलेन किच्चा सुदीप ने हिंदी भाषा को लेकर एक बयान दिया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा नहीं है। इस पर साउथ सुपरस्टार विलेन सुमन तलवार ने कहा कि कोई भी हो उसके लिए मदर टंग को प्रेफरेंस देना जरूरी है। बहुत सारे एक्टर्स जो साउथ इंडस्ट्री में मेरे दोस्त है वह भी कहते हैं कि हम जब अपनी मातृभाषा में फिल्में बना सकते हैं तो हिंदी क्यों सीखें? लेकिन मैं कहता हूं अगर आपको हिंदी बेल्ट में फेमस होना है तो आपको हिंदी सीखनी ही पड़ेगी। मातृभाषा के अलावा हिंदी सीखना भी पड़े तो सीखना चाहिए।

साउथ की फिल्मों की हवा चल रही

हाल ही में चल रहे केजीएफ-2, आरआरआर और पुष्पा के क्रेज को देखते हुए एक्टर सुमन तलवार ने कहा कि यह सिर्फ एक हवा है कि साउथ की फिल्में अच्छी चल रही हैं, हालांकि बॉलीवुड में भी अच्छी फिल्में बनी है। मुझे लगता है जब जहां आप बॉलीवुड फिल्मों की कहानी की बात करें तो बहुत सारी कहानी ग्लोरिफाई कर बताई जाती है। हो सकता है कुछ टाइम बाद आपको साउथ की फिल्में पसंद न आए। कुछ विषयों को हटा दें तो बाकी साउथ मूवी आम आदमी से कनेक्ट करती हैं।