2853 पथ विक्रेताओं के प्रकरणों में सिर्फ 566 को बैंकों ने दिया ऋण

2853 पथ विक्रेताओं के प्रकरणों में सिर्फ 566 को बैंकों ने दिया ऋण

जबलपुर । कोरोना संकट काल से निचले तबके को आर्थिक रूप से सामान्य करने के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की शहरी पथ विक्रेता ऋण योजना प्रारंभ की थी जिसपर नगर निगम ने मेहनत करते हुए इनका पंजीयन किया है। इसके बाद इन सभी प्रकरणों को बैंकों को दिया जाना था जिसके बाद बैंक को हितग्राही को नियत राशि 10-10 हजार रुपए देने थे। नगर निगम ने तो अपना काम कर दिया,प्रकरण भी बैंक भेज दिए मगर बैंक हितग्राहियों को पैसे नहीं दे रहे हैं। नगर निगम ने 2853 हितग्राहियों को पंजीकृत करते हुए इनके प्रकरण ननि सीमा के 202 बैंक शाखाओं को भेजे हैं। जिनमें से ज्यादातर का कहना है कि इस संबंध में उनके पास उनके बैंकों के मुख्यालय से निर्देश नहीं आए हैं। ऐसे में वे यह ऋण नहीं दे सकते। वहीं कुछ बैंकों ने सहयोग किया है। इस तरह केवल 566 हितग्राहियों को ऋण मिल गया है।

ये है योजना

मुख्यमंत्री पथ व्यवसाई योजना के अंतर्गत स्ट्रीट वेंडर जो नियमित रूप से रेहड़ी,सब्जी,चाय-पान आदि दुकानें लगाकर अपना गुजारा करते हैं के लिए कोरोना संकट काल से उबरने के लिए सहायता देने 10 हजार रुपए का ऋण देना मुख्य बात है। इसके लिए शहर में नगर निगम ने पंजीयन करने के लिए हर जोन स्तर पर पंजीयन करवाए हैं।

ऐसे में कैसे पूरी होगी मुख्यमंत्री की मंशा

निस्संदेह मुख्यमंत्री की मंशा अच्छी है और सुनने में भले ही यह राशि कम लगे मगर छोटे व्यापार कर दोबारा खड़े होने के लिए पथ विक्रेता इसे उचित मानते हैं। उनका कहना है कि इतनी र ाशि से ही हम अपना व्यापार खड़ा कर लेंगे और इस राशि को चुका भी देंगे। बैंक ऋण दे तो। मुख्यमंत्री की इस कल्याणकारी मंशा को बैंक प्रबंधन गंभीरता से नहीं ले रहे हैं,जिसके चलते इस योजना पर ही प्रश्न चिन्ह खड़ा हो गया है।

फैक्ट फाइल

2853 प्रकरण गए बैंक में

202 शाखाओं में पहुंचे प्रकरण

566 को मिला ऋण

82,527 कुल पंजीयन

76,601 जांच में विचाराधीन

10 हजार रुपए मिलता है ऋण

किस बैंक ने कितने प्रकरण निपटाए

5 प्रकरण पीएनबी अधारताल

3 प्रकरण ग्रामीण बैंक अधारताल

2 यूनियन बैंक रांझी

2 यूनाइटेड बैंक विक्टोरिया

7 ओरिएंटल बैंक,गोकुलदास धर्मशाला

13 पीएनबी माढ़ोताल

105 सेंट्रल बैंक की शाखाएं