इंदौर : स्कूल की बिल्डिंग में चल रहा कॉलेज, अभी तक नहीं मिली जमीन
इंदौर। इंदौर के खजराना क्षेत्र में पिछले आठ माह से एक सरकारी स्कूल में बड़े-बड़े छात्र प्रवेश करते नजर आ रहे हैं। लोग जब इन छात्रों को स्कूल में जाते देखते हैं तो एक-दूसरे से पूछते हैं कि आखिर ये चक्कर क्या है? तब वहां के लोग बताते हैं कि ये स्कूली बच्चे नहीं कॉलेज में पढ़ने वाले छात्र हैं। इस स्कूल में पिछले आठ माह से कॉलेज भी संचालित हो रहा है। अब स्कूल में कॉलेज का भी संचालित होना सवाल खड़े करता है।
सरकारी स्कूल में कॉलेज संचालित किए जाने की कहानी यह है कि मप्र के पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान ने अपने कार्यकाल में खजराना में सरकारी कॉलेज बनाए जाने की घोषणा की थी। घोषणा के बाद आनन-फानन में खजराना सरकारी स्कूल के चार कमरों में कॉलेज की शुरूआत कर दी गई। खजराना शासकीय महाविद्यालय के नाम से खजराना सरकारी स्कूल में करीब 1200 स्कूली छात्रों के बीच संचालित हो रहे कॉलेज में करीब 213 विद्यार्थी बीए, बीकॉम, बीएससी में हैं। स्टॉफ के नाम पर 10 शिक्षक हैं। आठ माह बीत जाने के बाद भी कॉलेज को खुद की जमीन अभी तक नहीं मिल पाई है।
क्लास रूम में नहीं है पर्याप्त फर्नीचर और पंखे
जिन रूमों में तीन पाठयक्रम की कक्षाएं संचालित होती है। उन क्लास रूम में पंखे तक नहीं है। वहीं जो फर्नीचर दिए गए हैं वह भी पर्याप्त नहीं है। बीएससी में करीब 50 विद्यार्थी है, लेकिन उस अनुपात में फर्नीचर कम है। वहीं स्टाफ की कमी है। जिसके चलते होल्कर कॉलेज से केमिस्ट्री के प्रोफसर पढ़ाने आते हैं। छात्रों का कहना है कि प्रैक्ट्रिकल के लिए वो होल्कर या निर्भया कॉलेज में जाते हैं।
चाहिए 6 एकड़ जमीन : कॉलेज बिल्डिंग हेतु करीब 6 एकड़ भूमि की आवश्यकता है, लेकिन खजराना में ऐसी कोई जगह नहीं है जहां कॉलेज की बिल्डिंग बनाई जा सके। कॉलेज प्रबंधन ने जमीन को लेकर कई बार सरकार को पत्र लिखा है।
प्रैक्टिकल के लिए छात्रों को जाना पड़ता है दूसरे कॉलेज
जून-जुलाई 2023 में कॉलेज की शुरूआत हुई थी। कॉलेज में बीए, बीकॉम, बीएससी तीन स्ट्रीम संचालित हो रही हैं। यहां बीएससी की क्लास शुरू हो गई है, लेकिन लैब नहीं है। ऐसे में विद्यार्थियों को प्रैक्टिकल के लिए दूसरे कॉलेज की लैब पर निर्भर रहना पड़ रहा है। खेल का मैदान और लाइब्रेरी की सुविधा भी नहीं है। कॉलेज में इधर-उधर से जुगाड़ कर फर्नीचर की व्यवस्था की, लेकिन वह पर्याप्त नहीं है। स्टाफ के लिए भी फर्नीचर नहीं है। स्टाफ और प्राचार्य के लिए भी एक ही रूम है। इसी में अकाउंटिंग सहित सभी काम होते हैं।
पढ़ाने के लिए दूसरे कॉलेज से आती है फैकल्टी
एक स्टूडेंट तुषार सोनी ने कहा कॉलेज में पढ़ाने के लिए होल्कर कॉलेज से फैकल्टी आते हैं। साफ-सफाई भी दिक्कत हैं। गर्मी में बिना पंखे में बैठना मुश्किल हो जाता है।
राजस्व विभाग को लिखा गया है जमीन के लिए पत्र
अतिरिक्त संचालक और प्राचार्य अग्रणी महाविद्यालय ने खजराना क्षेत्र के महाविद्यालय के लिए राजस्व विभाग को पत्र लिखा था, लेकिन उन्हें इस संबंध में जवाब देते हुए कहा गया कि खजराना क्षेत्र में 6 हेक्टयर जमीन नहीं है। आचार संहिता समाप्त होने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी। - डॉ अनूप कुमार जग्गी, अग्रणी महाविद्यालय प्राचार्य
कॉलेज के लिए 10 हजार वर्ग फीट जमीन तलाश रहे
यह सही है कि हमारे कॉलेज में पर्याप्त कमरे नहीं हैं। लैब नहीं होने से छात्रों को दूसरे कालेजों में प्रैक्टिकल के लिए भेज रहे हैं। कॉलेज के लिए 10 हजार वर्ग फीट जमीन की तलाश की जा रही है। लैब और फर्नीचर के लिए भी शासन को पत्र लिखा है। - डॉ. अचर्ना शर्मा, प्राचार्य सरकारी कॉलेज खजराना
स्कूल और कॉलेज में अनुशासन में फर्क आता है
स्कूल और कॉलेज में अनुशासन में फर्क आ जाता है। छात्रों की सुरक्षा की चिंता रहती है। इसके चलते हमने कॉलेज प्राचार्य से चर्चा कर यह निर्णय लिया है कि कॉलेज सुबह की शिफ्ट और स्कूल दोपहर में संचालित किए जा सकते हैं। -डॉ अल्पना आर्य, खजराना स्कूल प्राचार्य