दो साथियों की पहल... सब के राम से जुड़े हजारों लोग, बना आस्था का केंद्र

दो साथियों की पहल... सब के राम से जुड़े हजारों लोग, बना आस्था का केंद्र

इंदौर। हमारे साथ हैं श्रीराम, करें किस बात की चिंता... यह मूलमंत्र है आरएसएस से जुड़े दो मित्रों का, जिन्होंने शहर में माता आराधना होते देख उसी तर्ज पर सब के राम की शुरुआत की। मंशा थी ज्यादा से ज्यादा लोगों तक श्रीराम के बारे में व्याप्त भ्रांतियों को दूर करना। पहल रंग लाई और ‘सब के राम’ आस्था का केंद्र बन गए। इस बार इंदौर की तरह अयोध्या में भी सबके राम का आयोजन हो रहा है।

भगवान राम वास्तव में सबके आराध्य हैं, यह कहना है सब के राम... पहल की शुरुआत करने वाले धर्मनिष्ठ महेंद्रसिंह चौहान का। महेंद्र के अनुसार प्रवीणा अग्निहोत्री और मैं आरएसएस से जुड़े हैं। यहीं रहते हुए विचार आया कि जिस तरह कुंवार की नवरात्रि में माता की आराधना होती है, क्यों न ऐसा कुछ श्रीराम को लेकर किया जाए। और यह आयोजन श्रीराम जन्मोत्सव के दौरान हो। कार्यक्रम चूंकि आस्था से जुड़ा है अतएव आयोजन स्थल पर श्रीराम से जुड़े कथानक पर आधारित प्रोग्राम किए जाएं, तैयारी शुरू की। अलग-अलग साधु-संतों से मिले।

इसी बीच कोविड आ गया, जिसके कारण सब के राम... कुछ समय के लिए टल गया। कोविड खत्म होने के बाद तैयारी हुई, दशहरा मैदान (जिसे अवध नाम दिया) पर श्रीराम भक्ति पर आधारित दस दिवसीय आयोजन किए। पहले साल में उम्मीद से कई गुना करीब चार लाख लोगों ने आकर श्रीराम के प्रति अपनी आस्था जताई। बस फिर क्या था, आयोजन विशाल हो गया।

सहयोगी हुए हजारों में- महेंद्र के अनुसार दो लोगों से शुरू हुआ कारवां अब चार हजार सदस्यों तक पहुंच गया है। सदस्य कोई भी बन सकता है। इस साल से सबके राम से जुड़ने वालों से कुछ राशि लेने का प्लान है ताकि श्रद्धालुजन तक श्रीराम से संबंधित साहित्य, श्रीयंत्र के साथ पहुंचाया जा सके।

कभी नहीं आई दिक्कत- महेंद्र बताते हैं कि श्रीराम का नाम लेकर आयोजन करने में कभी किसी तरह की दिक्कत नहीं आई। इतना ही नहीं, जहां अंदेशा था वहां उम्मीद से बेहतर प्रतिसाद मिला। वास्तव में कार्यक्रम के कर्ता-धर्ता स्वमेव श्रीराम हैं, मैं और प्रवीणा खुशनसीब हैं, जो उन्हें प्रभु आराधना के लिए कार्य करने का मौका मिला।

महीनेभर में तैयार हुआ अवध- कोलकाता से आई 60 सदस्यीय टीम बीते 30 दिन से मंदिर की प्रतिकृति तैयार करने में जुटी हुई है। बुधवार से यहां आयोजन होंगे।

आयोजन में नहीं होता भंडारा- महेंद्र ने बताया कि इतने बड़े आयोजन में दिनभर जुटने वाले भक्तों के लिए भोजन-भंडारे की व्यवस्था नहीं रहती, लेकिन प्रतिदिन आरती के पश्चात प्रसाद का वितरण होता है।

व्यवस्था के लिए टीम- अवध में दर्शनार्थ आने वाले भक्तजनों को किसी तरह की परेशानी नहीं आए, इसके लिए बकायदा वॉलेंटियर्स हैं। दस दिवसीय यज्ञ में तीन दिन सप्तमी, अष्टमी व नवमी को भक्तजन शामिल हो सकते हैं।