किशोरों के सोशल मीडिया देखने पर प्रतिबंध लगाने के बजाय डिजिटल मीडिया साक्षरता सिखाई जाए
ऑकलैंड। स्मार्टफोन की लत, साइबर बुलिंग, गलत सूचना और चरमपंथी सामग्री के बारे में बढ़ती चिंताओं में युवा लोगों में मानसिक और सामाजिक कल्याण में गिरावट के लिए डिजिटल उपकरणों और सोशल मीडिया को जिम्मेदार ठहराया जाता है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि किशोरों को सोशल मीडिया देखने से रोकने की बजाए डिजिटल मीडिया साक्षरता सिखाई जानी चाहिए। यूएस नेशनल एसोसिएशन फॉर मीडिया लिटरेसी एजुकेशन के अनुसार, यह ‘संचार के सभी रूपों का उपयोग करके पहुंच, विश्लेषण, मूल्यांकन, निर्माण और कार्य करने’ का कौशल प्रदान करेगा।
मीडिया साक्षरता को एक आवश्यक जीवन कौशल के रूप में मूल्यवान व व्यापक रूप से प्रचलित’ बनाकर, इसका उद्देश्य युवाओं को निष्क्रिय मीडिया उपभोक्ताओं से महत्वपूर्ण मीडिया उपयोगकर्ताओं में स्थानांतरित करने में सक्षम बनाना है। गौरतलब है कि इस साल, अमेरिकी सर्जन जनरल विवेक मूर्ति ने कांग्रेस से सिगरेट पर स्वास्थ्य लेबल के समान सोशल मीडिया पर चेतावनी लेबल लगाने को कहा।
न्यूजीलैंड, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, यूके, इटली, चीन व कुछ अमेरिकी राज्यों की सरकारों ने स्कूलों में फोन पर रोक का प्रस्ताव दिया है। अब, सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं की आयु 13 से 16 करने की ऑस्ट्रेलियाई याचिका एक लाख हस्ताक्षरों के साथ जोर पकड़ रही है।
ऑनलाइन दुनिया आभासी खेल का मैदान: अमेरिकी विशेषज्ञ
अमेरिकी विद्वान एथन ब्रेस्निक ने ऑनलाइन दुनिया को “आभासी खेल का मैदान” बताया है। जोखिम हैं, आपको चोट लग सकती है, लेकिन खुशी, संपर्क, खेल, रचनात्मकता और हंसी भी है। किसी भी खेल के मैदान की तरह, वहां भी स्वास्थ्य और सुरक्षा उपाय करने की आवश्यकता है। लेकिन हमें युवाओं को जोखिम का आकलन करने और उसे संभालने में भी सहायता करनी चाहिए ताकि वे आगे बढ़ सकें और आनंद उठा सकें।