अंतर्राष्ट्रीय दिव्यांग जूडो खिलाड़ी दो जून की रोटी को मोहताज

अंतर्राष्ट्रीय दिव्यांग जूडो खिलाड़ी दो जून की रोटी को मोहताज

जबलपुर । इंसान में यदि प्रतिभा और इच्छाशक्ति हो तो कोई भी काम मुश्किल नहीं है। सिहोरा तहसील की एक बेहद छोटे से गांव कुर्रे की रहने वाली जानकी ने यह सच साबित कर दिया है। उसे विक्रम अवार्ड से सम्मानित किया गया है। जानकी देख नहीं सकती लेकिन उसने अपनी प्रतिभा से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपना लोहा मनवाया है। जानकी जूडो की अंतरराष्ट्रीय पैरा खिलाड़ी है, लेकिन सरकार की उदासीनता और अनदेखी के चलते आज भी वह आर्थिक संकटो से जूझ रही है। गौरतलब है कि अन्य प्रदेशों में जब कोई खिलाड़ी प्रदेश और देश का नाम रोशन करके आता है,तो काफी तरह की सुविधाएं दी जाती हैं यदि खिलाड़ी का परिवार आर्थिक तंगी से गुजरता है तो उसे आर्थिक मदद भी उपलब्ध कराई जाती है। लेकिन जानकी ने अपने सामान्य जीवन से लेकर अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी बनने तक के सफर में प्रदेश सरकार से मिलने वाली मदद को खुद से दूर ही पाया है। खिलाड़ियों के साथ सरकार की उदासीनता के चलते जानकी ने प्रदेश सरकार पर गंभीर आरोप भी लगाए है। जानकी ने सरकार से नौकरी या फिर हर माह आर्थिक मदद की मांग की है। वर्तमान में भी उसे विक्रम अवार्ड से सम्मानित किया गया है। लेकिन उसकी आर्थिक स्थिति पर सरकार ने कोई मदद नहीं की है।

मां और दो बहने भी हैं दिव्यांग

सिहोरा तहसील के कुर्रे गांव में रहने वाली जानकी के परिवार में उसके माता-पिता के अलावा तीन और भाई-बहन हैं,लेकिन इसे किस्मत की मार ही कहें कि घर में मौजूद मां और दो बहने भी दिव्यांग हैं। ऐसे में जब खुद इस विक्रम अवार्डी पैरा खिलाड़ी ने अपनी, दर्द भरी आवाज को उठाया है। साथ ही कुछ विक्रम अवार्डी भी अब उसके समर्थन में सामने आए है। आज भी उसे उसका हक नहीं मिल पा रहा है। बहराल जो भी हो जानकी ने प्रदेश में खिलाड़ियों को मिलने वाली सुविधाओं, उनके जीवन की वर्तमान स्थिति को उजागर किया है।

सरकार से जल्द मदद कराएंगे

सांसद राकेश सिंह ने भी जानकी की प्रतिभा और प्रदेश के साथ देश और विदेश में नाम रोशन करने के बाद भी बदहाली और आर्थिक तंगी के दौर से गुजरने के हालात को बेहद गंभीर माना है। उन्होंने मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री सीएम शिवराज से बात कर हर संभव मदद जल्द से जल्द उपलब्ध कराने की बात कही है।

चंदा करके पूर्व में भेजा गया था तुर्की

बता दें कि तुर्की जाने के दौरान भी संभागीय कमिश्नर जबलपुर में बतौर तत्कालीन कलेक्टर के रूप में पदस्थ थे उस दौरान राज्य सरकार से समय पर आर्थिक मदद ना मिल पाने के दौरान महेश चंद्र चौधरी ने अपने स्तर पर साथी अधिकारियों और कर्मचारियों के जरिए जानकी के लिए करीब 75000 रुपए का फंड इकट्ठा कराया था जिसके जरिए वह तुर्की खेलने गई थी।