जबलपुर के हितों की लड़ाई लड़ना अब मेरी जिम्मेदारी: आशीष दुबे

जबलपुर के हितों की लड़ाई लड़ना अब मेरी जिम्मेदारी: आशीष दुबे

जबलपुर। चुनाव परिणाम आने के बाद जबलपुर संसदीय सीट से आशीष दुबे रिकॉर्ड मतों से सांसद घोषित हो चुके हैं। उनकी जीत ने इतिहास बना दिया है। इससे पहले के लोकसभा या किसी भी चुनाव में अभी तक इतने मत किसी को नहीं मिले हैं। ऐसे में स्पष्ट है कि मतदाताओं ने भाजपा पर अपना भरोसा जताया है। जाहिर है कि अब उन पर अब अपेक्षाओं का बोझ भी अधिक होगा। ऐसे में नव निर्वाचित सांसद श्री दुबे का कहना भी है कि अब जबलपुर के हितों की लड़ाई लड़ना मेरी जिम्मेदारी होगी। श्री दुबे ने मतदाताओं के द्वारा भारतीय जनता पार्टी को दिए आशीर्वाद पर आभार जताते हुए कहा कि आपके विश्वास पर खरा उतरना ही मेरी प्राथमिकता है। जबलपुर के विकास के लिए अब कोई कसर नहीं छोड़ी जाएगी। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और हमारे मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव के नेतृत्व में सर्वांगीण विकास के लिए हमेशा पूरी लगन व तत्परता के साथ काम करूंगा।

दिनेश का मुकाबला आशीष से नहीं मोदी से था

कांग्रेस के प्रत्याशी दिनेश यादव का कहना है कि यह जीत आशीष दुबे की नहीं नरेन्द्र मोदी की है,लिहाजा मेरा मुकाबला आशीष दुबे से नहीं नरेन्द्र मोदी से था। जो चुनाव परिणाम आए हैं वे व्यक्ति के मूल्यांकन का नहीं बल्कि लहर का जनादेश है। मुझे जो भी मत मिले उनके लिए मैं मतदाताओं का आभार व्यक्त करता हूं। मैं पराजय के भय से शांत बैठने वालों में से नहीं हूं। अब और अधिक शिद्दत से जनहित के काम करता रहूंगा। कांग्रेस के हर कार्यकर्ता ने पूरी मेहनत के साथ काम किया उनके लिए भी आजीवन ऋणी रहूंगा। जहां देश के कई प्रांतों में कांग्रेस व उनके सहयोगी दलों का प्रदर्शन निखरा है तो जबलपुर में इतनी बड़ी पराजय कई संकेत देती है। कारण तो कई निकलकर सामने आएंगे मगर लंबे समय से संगठन की निष्क्रियता और ऐन चुनाव के समय अध्यक्ष बनाया जाना दिनेश की हार का बड़ा कारण है। यदि कांग्रेस का संगठन बूथ स्तर पर होता तो हो सकता है पराजय फिर भी होती मगर इतनी बुरी न होती।

बधाइयों का लगा रहा तांता

देर रात तक लोगों की बधाइयों का तांता उनके पास लगा रहा। सुबह से भी यह सिलसिला जारी रहा जो दिन भर चला। उनके परिवार मे भी हर्ष का पारावार नहीं है। पूरे शहर में भाजपा के कार्यकर्ताओं ने शुभकामनाओं के होर्डिंग लगा दिए हैं। दरअसल यह ऐतिहासिक जीत अकेले आशीष दुबे की नहीं हर कार्यकर्ता अपनी मान रहा है। श्री दुबे भी ऐसा ही मानते हैं वे अपने सौम्य और मिलनसार स्वभाव से हर कार्यकर्ता को यही अहसास करवा रहे हैं कि यह जीत आपकी है।