जबलपुरिया मटर हवा-हवाई, थोक में 12 रु. तक उतरे भाव
जबलपुर। एक जिला, एक उत्पाद से जबलपुर में मटर की ब्रांडिंग की गई थी। गत वर्ष देश भर में अच्छी खपत रही। इस बार भी किसानों को मटर के लिए प्रोत्साहित किया गया, लेकिन रकबा बढ़ाने के बाद किसानों के लिए मटर का उत्पादन घाटे का सौदा बन गया है। गौरतलब है कि अच्छी ठंड न पड़ने से मटर में हरापन और मीठा पन नहीं आया है। इससे बाहर के शहरों चेन्नई, बैंगलोर, हैदराबाद जैसे शहरों में जबलपुरिया मटर को रिजेक्ट किया जा रहा है। परिणाम स्वरूप गत वर्ष लोकल में 2 लाख किलो की अपेक्षा 6 लाख किलो आवक हो रही है। इस वजह से थोक में मटर 12 रुपए किलो उतर आया है।
लागत तक नहीं निकल रही
मटर उत्पादक किसानों का कहना है कि इस बार मटर की आपूर्ति जल्द शुरू हो गई है। वहीं रेट्स न मिलने के कारण उन्हें घाटा लग रहा है। हाल ये है कि मटर तुड़ाई, लदाई और भाड़ा देने के बाद उन्हें धेला भर की बचत नहीं हो रही है। कई किसान खेतों में ही मटर का विनिष्टीकरण करने मजबूर हैं।
28 हजार हेक्टेयर में बोवनी
जिले में पिछले वर्ष 39 हजार हेक्टेयर में मटर लगाया गया था। वहीं इस वर्ष अभी तक 28 हजार हेक्टेयर में बोवनी हो चुकी है। अभी किसानों द्वारा बोवनी का कार्य जारी है। हालांकि गोटेगांव में भी मंडी खुल गई है। वहीं दमोह से भी मटर की आवक हो रही है।
प्रशासन ने एक जिला, एक उत्पाद के तहत किसानों को मटर के लिए प्रोत्साहित किया था। मांग न होने से किसान घाटे में हैं। दूसरे शहरों में जबलपुरिया मटर की ब्रांडिंग कराई जाए। -केके अग्रवाल, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भाकृस
वर्तमान में मटर की क्वालिटी ठीक नहीं है। यही वजह है कि बाहर के व्यापारी जबलपुरिया मटर को रिजेक्ट कर रहे हैं। मटर में मीठा पन बढ़ने के बाद ही बाहर आपूर्ति संभव है। -अजीत साहू, अध्यक्ष कृषि उपज मंडी जबलपुर