काउंसिल हाउस से संसद तक का सफर

नई दिल्ली। केंद्र सरकार की सेंट्रल विस्टा वेबसाइट पर दी गई जानकारी के मुताबिक, मौजूदा संसद भवन का डिजाइन हर्बर्ट बेकर ने तैयार किया था। इसमें सर लुटियंस का भी योगदान था। 12 फरवरी 1921 को तत्कालीन काउंसिल हाउस का उद्घाटन ड्यूक ऑफ कनॉट और भारत के तत्कालीन गवर्नर ने किया था। इसमें 64 गोल खंभे, मध्य प्रदेश के मुरैना में योगिनी मंदिर से प्रभावित हैं, हालांकि इसका कोई आधिकारिक प्रमाण नहीं है। इसका उद्घाटन 18 जनवरी 1927 को तत्कालीन गवर्नरज नरल लॉर्ड इरविन ने किया था। इस भवन के निर्माण पर उस समय रु. 83 लाख खर्च किए गए। संसद भवन का व्यास 560 फीट है। यह करीब छह एकड़ में फैला हुआ है। 27 फीट ऊंचे 144 खंभे इसे एक प्रमुख आकार देते हैं। इसमें भारतीय स्थापत्य शैली के तत्व भी शामिल हैं जैसे दीवारों और खिड़कियों पर छज्जा और संगमरमर में जाली। संसद भवन परिसर में तीन मुख्य भवन हैं। संसद भवन, संसदीय ज्ञानपीठ (पुस्तकालय) और संसदीय सुधा (अनुबंध)। आवश्यकतानुसार, संसद भवन में अतिरिक्त सुधार किए गए हैं। वर्ष 1956 में आउटबिल्डिंग की अतिरिक्त दो मंजिलों का निर्माण किया गया था ताकि प्रेस, मंत्रियों के कक्ष, पार्टियों के कार्यालय, अध्यक्ष और उपाध्यक्ष सहित पदाधिकारी आदि को शामिल किया जा सके। लोकसभा अर्धवृत्ताकार है और इसमें हरे रंग का कालीन है। इसमें 545 सांसदों के तथा राज्यसभा में 245 सांसदों के बैठने की व्यवस्था है। दोनों सदनों में, सत्तारूढ़ दल स्पीकर के दाईं ओर और विपक्ष बाईं ओर बैठता है।
वर्ष 1921: ड्यूक ऑफ कनाड ने रखी थी नींव
12 फरवरी, 1921: ड्यूक ऑफ कनॉट ने भवन की नींव रखी थी, जिसे उस वक्त काउंसिल हाउस कहा जाता था।
18 जनवरी, 1927: लॉर्ड इरविन ने संसद भवन का उद्घाटन किया।
19 जनवरी, 1927: संसद भवन में सेंट्रल लेजिस्लेटिव असेम्बली के तीसरे सत्र की पहली बैठक हुई।
9 दिसंबर, 1946: संविधान सभा की पहली बैठक हुई।
14-15 अगस्त, 1947: संविधान सभा के अर्द्धरात्रि सत्र के दौरान सत्ता हस्तांतरण हुआ।
13 मई, 1952: दोनों सदनों की पहली बैठक हुई।
3 अगस्त, 1970: तत्कालीन राष्ट्रपति वी.वी. गिरि ने संसद एनेक्सी की आधारशिला रखी।
24 अक्टूबर, 1975: तत्कालीन पीएम इंदिरा गांधी ने संसद एनेक्सी का उद्घाटन किया।
15 अगस्त, 1987: राजीव गांधी ने लाइब्रेरी की आधारशिला रखी।
7 मई, 2002: तत्कालीन राष्ट्रपति केआर नारायणन ने संसद लाइब्रेरी भवन का उद्घाटन किया
5 मई, 2009: संसद एनेक्सी के विस्तारित भाग की आधारशिला रखी गई।
गौरवशाली अतीत
- 15 अगस्त 1947 को इस भवन में भारतीयों ने सत्ता संभाली। यहीं से प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने आधी रात को अपना प्रसिद्ध भाषण ट्रिस्ट विद डेस्टिनी दिया था।
- यह भवन संविधान सभा के सदस्यों द्वारा नए संविधान के लिए किए गए मंथन का भी गवाह है। 42वें संशोधन में एक 'लघु संविधान' का कार्यान्वयन भी देखा गया।
- यहां सिक्किम, नागालैंड, मणिपुर, मिजोरम, उत्तराखंड, झारखंड और छत्तीसगढ़ राज्य बने। भारत में दीव, दमन, दादरानगर हवेली और पुडुचेरी को शामिल करने की चर्चा यहीं की गई।
- 1962 में चीन के खिलाफ भारत की हार और 1971 में पाकिस्तान पर देश की जीत ने सरकार और विपक्ष के बीच बहस देखी है।
- दहेज विरोधी अधिनियम (1961), बैंकिंग आयोग अधिनियम और आतंकवाद निवारण अधिनियम (2002) जैसे कानूनों को पारित करने संयुक्त सत्र बुलाए गए थे।
- जिमी कार्टर, बराक ओबामा को संबोधित करने का सम्मान मिला।
2009 में लिया नए भवन निर्माण का फैसला
वर्ष 2009 में नए भवन के निर्माण का फैसला लिया गया। 2012 में तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष मीरा कुमार द्वारा इस मुद्दे पर एक समिति का गठन किया गया था। नई संसद को डिजाइन करते समय वर्तमान और भविष्य की जरूरतों को ध्यान में रखा गया है। नई संसद की आवश्यकता पर जोर देते हुए कई तर्क दिए गए हैं। 2026 के बाद देश में लोकसभा और राज्यसभा की सीटों की संख्या बढ़ाने पर लगा प्रतिबंध हटा लिया जाएगा। फिर अतिरिक्त सांसदों की व्यवस्था करनी होगी।
नए संसद भवन में होंगी 1,272 सीटें
वर्तमान सेंट्रल हॉल में 440 सदस्यों के बैठने की क्षमता है। इस वजह से संयुक्त संसदीय सत्रों के दौरान कठिनाई बढ़ जाती है। नई लोकसभा में 888 सीटें होंगी और राज्यसभा में 384 सीटें होंगी, जबकि कुल मिलाकर 1,272 सीटें होंगी। पुराने भवन के मूल डिजाइन में सीसीटीवी केबल, ऑडियो वीडियो सिस्टम, एयर कंडीशनिंग, अग्निशमन प्रणाली की सुविधा नहीं थी, इसलिए इसे बेहतर तरीके से नई संसद में तैयार किया गया है। पुरानी इमारत का डिजाइन अग्नि नियमों का पालन नहीं करता है।