सीए छोड़ चुनी क्लेट की राह, किसी को मम्मी तो किसी को भाई ने दिया सुझाव

सीए छोड़ चुनी क्लेट की राह, किसी को मम्मी तो किसी को भाई ने दिया सुझाव

कंसोर्टियम ऑफ नेशनल लॉ यूनिवर्सिटीज ने कॉमन लॉ एडमिशन टेस्ट(क्लेट)2024 परीक्षा का रिजल्ट रविवार देर रात को जारी किया था, जिसमें भोपाल की मान्यता सिंह ने ऑल इंडिया 47 वीं रैंक हासिल की, तो वहीं तान्या राठौर ने ऑल इंडिया रैंक 49 हासिल की है। पांच वर्षीय इंटीग्रेटेडेट यूजी और पीजी कार्यक्रमों के लिए क्लेट काउंसलिंग की शुरुआत भी हो चुकी है। अंडर-50 रैंक लाने वाली इन टॉपर्स को बैंगलुरू की लॉ यूनिवर्सिटी में एडमिशन मिलेगा। वहींभ् भोपाल से प्रकाश सिंह को 139 वीं रैंक मिली है। प्रकाश ने बताया कि मेरे परदादा अंग्रेजों के जमाने में मजिस्ट्रेट थे और परिवार 100 सालों से लॉ फील्ड में सक्रिय है। मेरे परिवार में 6 सदस्य लॉ फील्ड में हैं। मैं हमेशा से लॉ फील्ड में जाना चाहता था क्योंकि इसका सीधा असर लोगों के जीवन पर पड़ता है। मैं भविष्य में ज्यूडिशियरी या कॉर्पोरेट फील्ड में जाउंगा।

ड्रॉप लेकर हासिल की अंडर-50 रैंक

मैंने पिछले साल भी क्लेट दी थी लेकिन अच्छी रैंक के लिए इस साल ड्रॉप लिया और पूरा फोकस क्लेट पर रखा। मेरे भाई ने मुझे क्लेट का सुझाव दिया क्योंकि मैं सीए के बारे में सोच रही थी। मैं क्लास टॉपर रही हूं तो मुझे पढ़ने की अच्छी आदत है। मैं सुबह जल्दी उठकर तैयारी करती थी क्योंकि सभी विद्वजन कहते हैं कि सुबह के समय जरूर पढ़ना चाहिए। दोपहर के समय में पावर नैप जरूर लेती थी। हर दिन कोचिंग के अलावा 6 घंटे तक पढ़ाई की। मॉक टेस्ट प्रैक्टिस करती थी ताकि स्पीड और एक्यूरेसी बने। बीए(एलएलबी)करने के बाद मैंने सोचा है कि यूपीएससी की तैयारी भी करूंगी। मुझे लगता है कि सीए के अलावा क्लेट भी अच्छा विकल्प है। यदि रीडिंग हैबिट्स अच्छी है और यदि नहीं भी हैं तो रुचि विकसित की जा सकती है।

सीए में मन नहीं लगा तो क्लेट की तैयारी में जुटी

मैं पहले सीए फाउंडेशन की कोचिंग कर चुकी थी लेकिन मुझे पूरी तैयारी के दौरान इसमें रुचि नहीं आई, तो मैंने सोचा कि जब अभी मन नहीं लग रहा तो आगे क्या लगेगा। मैंने सीए एंट्रेंस एग्जाम नहीं दिया और फिर अपनी मम्मी के कहने पर क्लेट की तैयारी शुरू की, लेकिन इसमें भी रीडिंग इतनी ज्यादा थी, लेकिन मैंने सोचा अब यह नहीं छोडूंगी और रीडिंग हैबिट डेवलप करने के लिए नॉवेल्स पढ़ना शुरू किए, फिर स्टडी मटेरियल को फॉलो करके खूब प्रैक्टिस करने लगी। मॉक टेस्ट दिए और सबसे कठिन लगने वाले लॉजिकल रीजनिंग सेक्शन के कॉन्सेप्ट को समझा, फिर इतनी रुचि पैदा हो गई कि टॉप रैंक को टारगेट बनाकर तैयारी की।