मेयर की 6, सभापति की 5 करोड़, पार्षद की 65 लाख मौलिक निधि स्वीकृत, आए आमने-सामने

मेयर की 6, सभापति की 5 करोड़, पार्षद की 65 लाख मौलिक निधि स्वीकृत, आए आमने-सामने

ग्वालियर। भाजपा पार्षद द्वारा पप्पू के आलू से सोने बनाने की बात पर विपक्ष द्वारा सदन में चौकीदार चोर के नारे से गूंजने पर स्थगित हो गई। हालांकि इसके बाद सदन में भाजपा एजेंडे में तय महापौर की मौलिक निधि 6 व सभापति की निधि 5 करोड़ करने के साथ ही पार्षदों की निधि 65 लाख पर सहमति बनने के प्रस्ताव में संशोधनों पर सभापति मनोज तोमर ने स्वीकृति दी।

वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए महापौर शोभा सिकरवार द्वारा प्रस्तुत 2128 करोड़ के बजट पर निगम परिषद जल विहार में दोपहर 12 बजे से चर्चा शुरू हुई। जिसमें बहुमत वाले दल भाजपा के पार्षदों द्वारा तय रणनीति के तहत महापौर निधि 8 से 6 करोड़ व सभापति की निधि 5 करोड़ करने पर दोनों पक्षों के राजी होने पर सहमति दी गई। वहीं स्वेच्छानुदान राशि के मामले में नियमानुसार जानकारी लेने के लिए शासन के साथ पत्राचार करने पर सहमति बनी, तो 20-20 साल से जमे अधिकारियों को हटाने के मामले में पार्षद मनोज राजपूत ने भाजपा के 57 साल सत्ता में रहने के बाद न हटाने पर घेरा, लेकिन विपक्ष के नेता हरिपाल ने वर्तमान सत्ता में होने पर जिम्मेदारी की बात कर बचाव किया। वहीं सदन में बजट कॉपी के पेज क्रमांक 58-59 के एक होने पर विपक्षी पार्षदों ने जमकर खिचाई की।

आलू से सोना बनने की बात पर उबला सत्तापक्ष, बोला चौकीदार चोर है

सदन में पार्षद ब्रजेश श्रीवास्तव ने पप्पू द्वारा आलू से सोने की बात करते ही सत्तापक्ष वाले पार्षदों ने कड़ा विरोध किया। साथ ही अडानी के 20 हजार करोड़ की जांच न कराने की बात कर चौकीदार चोर है के नारे लगाए। वहीं सदन में सत्तापक्ष-विपक्ष को आमने-सामने देख सभापति को बैठक स्थगित करनी पड़ी। वहीं पार्षद मोहित जाट द्वारा सदन में आमने-सामने निपटने की बात को विलोपित किया गया।

मंत्रियों के दखल पर परिषद हुए स्थगित

सदन में भाजपा पार्षदों द्वारा महापौर को कांग्रेस पार्षदों के कार्य करने के मुद्दे पर घेरते ही एमआईसी सदस्य अवधेश कौरव ने निगम में मंत्रियों के दखल होने व उनकी मर्जी से काम होने का मुद्दा उठा दिया। जिसके बाद दोनों दलों के पार्षद एक-दूसरे के सामने आकर आसंदी तक पहुंच गए। जिसके बाद सभापति ने एक घंटे के लिए सदन स्थगित कर दिया।

राजस्व आय व पार्षद निधि के सबसे ज्यादा संशोधन पत्र

निगम बजट में संशोधन के लिए महापौर, सभापति निधि के लिए 03, स्वेच्छानुदान 03, पार्षद निधि 07, वार्ड समिति निधि 05, लोक निर्माण-उद्यानिकी 02, राजस्व आय 08, राजस्व व्यय 03, वित्त- लेखा 02, जलकार्य-सीवरेज 03, विद्युत व यांत्रिकी 02, जीएडी 02, प्रौद्योगिक विभाग 01, जनरल सुझाव के 06 पत्रों पर चर्चा होना है और पहले दिन परिषद में कुल 27 पर चर्चा हुई है। वहीं बुधवार दोपहर को बैठक में 20 संशोधन पत्र रखे जाएंगे।

ये संशोधन प्रस्ताव हुए खारिज 

  • शाला भवन शिक्षा उपकर मद में 3 करोड़ की राशि प्रस्ताव को बीते वर्षों से तुलना कर। 
  • वर्ष 2022 से कबाड़ विक्रय का उल्लेख न होने पर आय के स्रोत न होने पर। 
  • केन्द्रीय अनुदान वाली पीएमएवाय, मुख्यमंत्री अधोसंरचना मद में परिवर्तन।

इन प्रस्तावों को मिली स्वीकृति

  • मौलिक निधि से नवीन सामग्री कय करने। 
  • वार्ड समिति की निधि 15 से 20 लाख करने।
  • वर्टीकल गार्डन में मिले सुझाव के साथ। 
  • किराया सभागार-कैटीन से आय को 90 लाख । 
  • बजट कोड 1404013 के 5 लाख व कोड 14070002 बजट संशोधन कर। 
  • बोट क्लब/एक्वेरियम/बैजाताल से 24 लाख को ठेके पर देने।

महापौर ने काल्पनिकआ धारहीन बजट पेश किया है। पार्षदों की निधि के लिए सभापति ने अपनी निधि छोड़ी, लेकिन महापौर ने नहीं छोड़ी है। हरिपाल,नेता प्रतिपक्ष, नगर निगम

निगम द्वारा पेश 1600 करोड़ के बजट में बढ़ाए 500 करोड़ कहां से मिलेंगे। वहीं अमृत के कामों के बाद आज भी बदहाली है, जिन पर जांच कमेटी बनाने की मांग की गई है। मोहित जाट, पार्षद, भाजपा