रेलवे का मिशन इन्कम: सर्वे और आॅर्डर लेने जाने से बच रहे कर्मचारी

रेलवे का मिशन इन्कम: सर्वे और आॅर्डर लेने जाने से बच रहे कर्मचारी

जबलपुर ।  रेलवे क  माल लदान से होने वाली आय मुख्य आय होती है। वर्तमान में महीनों से यह ठप चल रही है,जिसके लिए बनाई गई रणनीति के तहत जबलपुर मंडल के 30 कर्मचारियों जो कि वाणिज्य विभाग के हैं को शामिल किया गया है। इन्हें मंडल के अंतर्गत आने वाले इलाकों में जाकर सर्वे करना था और आर्डर लेकर आना था मगर ये कर्मचारी इस काम से बच रहे हैं। जिससे रेलवे का मिशन इन्कम सफल होता नहीं दिख रहा है। रेलवे ने विकल्प के तौर पर ज्यादा से ज्यादा आमदनी मालभाड़े से प्राप्त करने की या जना पर काम शुरू किया है,लेकिन इस काम के लिए वाणिज्य विभाग के जिन कर्मचारियों को चुना गया है वे मार्केट में सर्वे करने या आर्डर लेने से कतरा रहे हैं। बताया जाता है कि कर्मचारियों का साफ कहना है कि उन्हें न तो वाहन दिए जा रहे हैं और न ही ट्रांसपोर्टिंग भत्ता ही दिया जा रहा है। कर्मचारियों को स्वयं के खर्चे से वाहन लेकर व्यापारियों से माल बुक कराने का आर्डर लेने के लिए निर्देशित किया गया है। रेलवे देता है ट्रांसपोर्टिंग भत्ता वाणिज्य विभाग ने जिन 30 कर्मचारियों को मार्केटिंग टीम में शामिल किया है उनमें पार्सल, बुकिंग, रिजर्वेशन,टीसी वटीटीई स्टाफ शामिल है। इन सभी कर्मचारियों को रेलवे वेतन के साथ 18 सौ रुपए ट्रांसपोर्टिंग भत्ता हर माह देता है। यही कारण है कि अलग से इन्हें भत्ता दिए जाने का सवाल पैदा नहीं होता।

कर्मचारी यूनियनों का नहीं मिल सहयोग

इस कार्य में कर्मचारी यूनियनों का सहयोग रेलवे को नहीं मिल रहा है। मान्यता प्राप्त यूनियनों का साफ कहना है कि वाणिज्य विभाग में जिस काम के लिए कर्मचारियों को भर्ती किया गया है रेलवे उनसे वही काम करवाए,और यदि मार्केट भेजना ही है तो नियमानुसार उन्हें वाहन, भत्ता इत्यादि दिया जाए।

रेलवे अधिकारियों का दावा

हालाकि रेलवे के वरिष्ठ अधिकारियों का यह कहना है कि माल लदान में इस योजना के लागू होने के बाद सकारात्मक परिणाम सामने आ रहे हैं। कम दूरी या वैगन सुविधा से माल लदान करने वालों की संख्या में इजाफा हो रहा है।