अंतरिम बजट में दिखा मोदी सरकार का आत्मविश्वास

अंतरिम बजट में दिखा मोदी सरकार का आत्मविश्वास

लोक लुभावन घोषणाओं से परहेज करते हुए और प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष कर स्लैब को अछूता छोड़ते हुए केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का लोकसभा में पेश किया गया अंतरिम बजट मोदी सरकार के आत्मविश्वास को दर्शाता है। अंतरिम बजट के दीर्घकालिक दृष्टिकोण से पता चलता है कि मोदी सरकार इस बात को लेकर आश्वस्त है कि आगामी लोकसभा चुनाव में वह सत्ता में वापसी करेगी। शायद यही वजह है कि नौकरीपेशा वर्ग की सबसे बड़ी उम्मीद- आयकर स्लैब में कोई परिवर्तन नहीं किया गया। दरअसल कमरतोड़ महंगाई के बीच मध्यम वर्ग को उम्मीद थी कि सरकार इनकम टैक्स में कुछ राहत प्रदान कर सकती है, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। इस तरह सरकार ने अंतरिम बजट में किसी तरह की नई और लोकलुभावन घोषणाओं से परहेज करने की परंपरा को भी बरकरार रखा। दरअसल, वित्त मंत्री ने पहले ही लोगों से इस बजट से ज्यादा उम्मीद न रखने को कहा था। जबकि 2019 के अंतरिम बजट में तत्कालीन वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने 5 लाख तक की कमाई करने वालों को टैक्स के दायरे से बाहर रखने का ऐलान किया था। मोदी सरकार के अंतरिम बजट को देखकर यही लगता है कि केंद्र में बैठी भाजपा सरकार आगामी लोकसभा चुनाव के परिणाम को लेकर एक तरह से निश्चिंत है। 10 साल से सत्ता में रहने के बावजूद सत्ता विरोधी लहर से परेशान नहीं है। पिछले दो-तीन माह में देश में जो सियासी माहौल बदला है, उसने बीजेपी के आत्मविश्वास को काफी ऊंचा कर दिया है। शुरुआत पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के नतीजों से होती है। सियासी पंडित से लेकर यहां तक कि भाजपा नेता भी मानकर चल रहे थे कि परिणाम उनके पक्ष में आने की संभावना कम है। मगर तीन दिसंबर को जब ईवीएम में दर्ज वोटों की गिनती शुरू हुई, तो विपक्षी इंडिया गठबंधन और इसकी सबसे बड़ी पार्टी कांग्रेस को जबरदस्त झटका लगा। इस जीत ने साबित कर दिया कि उत्तर भारत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का करिश्मा बरकरार है और वह भाजपा के खिलाफ बने विपरीत माहौल को भी अनुकूल माहौल में तब्दील कर सकते हैं। इसके बाद 22 जनवरी को अयोध्या में नवनिर्मित राम मंदिर का प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम जिस भव्य तरीके से हुआ, उसने न केवल देश बल्कि पूरी दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींचा। रहीसही कसर विपक्षी खेमे में मचे आंतरिक खींचतान ने पूरी कर दी। पहले ममता ने बंगाल में और फिर आप ने पंजाब में किसी तरह की सीट शेयरिंग से साफ इनकार कर दिया। रही सही कसर इंडिया गठबंधन के सूत्रधार नीतीश कुमार ने पूरी कर दी और बिहार में राजद से नाता तोड़ते हुए फिर एनडीए में शामिल हो गए। पिछले कुछ समय में हुए इन घटनाक्रमों ने नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली भाजपा को अपने विरोधियों पर बढ़त जरूर दिलाई है। हालांकि, राजनीति में किसी भी तरह की भविष्यवाणी को सटीक नहीं माना जाता है, लेकिन फिलहाल के लिए तो मोदी के सामने विपक्ष फिर मजबूत चुनौती पेश करने में असफल ही नजर आ रहा है। आज के बजट में कोई लोकलुभावन घोषणाओं के न होने की सबसे बड़ी वजह इसे ही माना जा रहा है।