नहीं हो सका मुनगा रोपण स्कूल और आंगनबाड़ियों के कार्यक्रम हुए निरस्त

नहीं हो सका मुनगा रोपण स्कूल और आंगनबाड़ियों के कार्यक्रम हुए निरस्त

जबलपुर । जिले में करीब 3 हजार प्राथमिक और 1 माध्यमिक स्कूल है,वहीं 24 सौ आंगनवाड़ी केन्द्र हैं। जहां पर 1 जुलाई से 7 जुलाई तक मुनगा के पौधे का रोपण होना था। लेकिन इस बार किसी भी स्कूल या फिर आंगनवाड़ी केन्द्रों में मुनगा के वृक्ष नहीं लगाए गए। इसकी वजह बारिश के मौसम में मुनगा का वृक्ष गल जाने और कोरोना के कारण कई कार्यक्रम निरस्त होना बताया जा रहा है। विदित हो कि मुनगा का वृक्ष कुपोषण की चुनौती से निपटने के लिए एक कारगार औषधि के रूप में कार्य करता है। शासकीय विद्यालयों व आगनवाड़ियों में बटने वाले मिड-डे मील आदि में इसकी पत्ती का प्रयोग किया जा सकता है। इसके साथ ही आम जनमानस को भी मुनगा वृक्ष की महत्ता के संबंध में अवगत कराया जाना आवश्यक है। इस हेतु पूर्व वर्ष की भांति इस वर्ष भी प्रत्येक विद्यालय के प्रांगण में न्यूनतम 5 तथा प्रत्येक आॅगनवाडी परिसर में न्यूनतम 2 मुनगा के पौधों का रोपण किया जाना था जो इस बार नहीं हुआ है। इसके साथ ही गत वर्ष लगाए गए मुनगा सहित अन्य वृक्षों की भी देखभाल की जाएगी। ताकि इस वर्षा में वे बड़े हो सके।

कई स्कूलों में नहीं है बांउड्रीवॉल

गौरतलब है कि जिले के अधिकतम शासकीय स्कूलों और आंगनवाड़ी केन्द्रों में बांउड्रीवॉल नहीं है जिसके कारण जो भी वृक्षरोपण होते है वह या तो मवेशी नष्ट कर देते है या फिर आसामाजिक तत्व तोड़ देते है। लिहाजा ऐसे में इनकी देखरेख की जिम्मेदारी भी स्कूल प्रबंधक या आंगनवाड़ी केन्द्रों की होती है।

5 हजार रुपए हर साल होते हैं शासन से आवंटित

जिला शिक्षा विभाग से मिली जानकारी के अनुसार स्कूलों में पौधा रोपण हो या फिर अन्य गतिविधियों के लिए हर साल शासन शासकीय स्कूलों को 5 हजार रुपए की राशि आवंटित होती है। जिससे पौधारोपण के साथ-साथ अन्य गतिविधियां या फिर साफ-सफाई के लिए राशि का उपयोग किया जा सकता है। लेकिन इस राशि का स्कूल प्रबंधन कहां उपयोग किया जाता है इसका कभी कोई हिसाब नहीं लेता है।