नासा का रिटायर्ड सैटेलाइट जल्द गिर सकता है धरती पर

नासा का रिटायर्ड सैटेलाइट जल्द गिर सकता है धरती पर

वॉशिंगटन। नासा का एक जियोफिसिक्स सैटेलाइट अंतरिक्ष में लंबा समय गुजारने के बाद वायुमंडल में गिरने वाला है। नासा का यह सैटेलाइट काम बंद करने के 49 साल बाद इस सप्ताह के अंत में रिटायर होने जा रहा है। नासा ने बॉर्बिटिंग जियोफिजिक्स आब्जर्वेटरी- 1 (ओजीओ-1) अंतरिक्षयान सितंबर 1964 में प्रक्षेपित किया था। इसका मुख्य उद्देश्य पृथ्वी के मैग्नेटिक वातावरण और पृथ्वी की सूर्य के साथ अंतक्रिया का अध्ययन करना था। ओजीओ-1 ने 1969 तक आंकड़े जमा किए थे व उसके बाद 1971 में वह डिकमीशन्ड यानि औपचारिक रूप से बंद कर दिया गया था। इसके बाद से यह पृथ्वी का चक्कर लगा रहा था। इस दौरान वह 2 दिन में अंडाकार कक्षा में पृथ्वी का एक चक्कर लगा रहा था।

सप्ताह के अंत तक वायुमंडल में आकर गिर सकता है

नए अवलोकनों के आधार पर पता चला है कि पृथ्वी की गुरुत्वाकर्षण शक्ति के आगे 487 किलो वजन वाला यह सैटेलाइट हार गया और यह इस सप्ताह के अंत तक पृथ्वी के वायुमंडल में आकर गिर सकता है। ओजीओ-1 के बारे में अनुमान लगाया जा रहा है कि यह अगली तीन पेरीजी में से एक में पृथ्वी के अंदर प्रवेश करेगा। पेरीजी कक्षा का वह बिंदु होता है, जब उपग्रह अपने ग्रह के सबसे पास में होता है।

कहां गिरने की है संभावना

नासा के बयान के मुताबिक ओजीओ- 1 ईस्टर्न डेलाइड समयानुसार शनिवार शाम 5:10 बजे पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करेगा। इसके दक्षिण प्रशांत महासागर में ताहिति और कूक द्वीपों के बीच गिरने की संभावना है। यानि यह भारतीय समयानुसार रविवार सुबह 2 बजकर 40 मिनट पर पृथ्वी के वायुमंडल में आ गया है।

पृथ्वी को कोई खतरा नहीं

नासा के बयान में कहा गया कि यह अंतरिक्ष यान वायुमंडल में ही टूट जाएगा और इससे हमारी पृथ्वी को किसी किस्म का कोई खतरा नहीं हैं। यह रिटायर हुए अंतरिक्ष यानों की एक सामान्य प्रक्रिया है। ओजीओ-1 नासा के 6 अंतरिक्ष यानों के अभियानों में से पहला अंतरिक्ष यान था। इसके अन्य सदस्यों को 1965, 1966, 1967, 1968 और 1969 में प्रक्षेपित किया है। इनमें से पांच पृथ्वी पर वापस आ चुके हैं। इनमें से ज्यादा 2011 में आए थे।