24 घंटे में एप्रूवल का दावा करने वाले ननि ने 10 माह में किए मात्र 900 नक्शे पास

24 घंटे में एप्रूवल का दावा करने वाले ननि ने 10 माह में किए मात्र 900 नक्शे पास

जबलपुर । कभी 24 घंटे में भवन निर्माण स्वीकृति देने का दावा करने वाले नगर निगम ने पिछले 10 माह में नई प्रणाली एवीआरएस-2 आने के बाद मात्र 900 नक्शे ही पास किए हैं। इसमें भी 9 माह नक्शे पास करने के अधिकार जोन में संभागीय यंत्रियों को दिए गए थे जिन्होंने मात्र 283 नक्शों को ही स्वीकृति दी,विगत माह से यह व्यवस्था मुख्यालय में भवन शाखा के जिम्मे की गई तो उन्होंने महीने भर में 617 नक्शे पास किए हैं। दरअसल लंबे समय तक तो यहां के जिम्मेदारों को नक्शा पास करने की नई एवीआरएस-2 प्रणाली समझ में ही नहीं आई। जब कंसलटेंट, इंजीनियर व आर्किटेक्ट ने एकत्र होकर विरोध करना शुरू किया तो इस व्यवस्था को तेजी देने के लिए जोनवार नक्शे स्वीकृति के अधिकार दे दिए गए। जोन में भी बेहद धीमी गति से नक्शा स्वीकृति का काम हुआ और गत वर्ष सितंबर माह से लेकर 6 जून तक मात्र 283 नक्शे ही पास हो पाए। इसके बाद जोन से यह व्यवस्था वापस लेकर मुख्यालय में सेन्ट्रलाईज कर दी गई। यहां गति कुछ ठीक हुई और अब तक 617 नक्शे पास हुए हैं। वहीं 334 नक्शे स्वीकृति की प्रक्रिया में हैं।

1836 आवेदन आए

गत वर्ष अगस्त माह से लेकर अब तक नगर निगम की भवन शाखा में कुल 1836 आवेदन आए हैं। इनमें से 900 नक्शे स्वीकृत किए गए हैं जिनसे नगर निगम के खजाने में 1 करोड़, 52लाख, 316 रुपए जमा हुए हैं। वहीं 334 नक्शे प्रोसेस में हैं। इस तरह आधे आवेदनों का ही निराकरण हो पाया है।

परेशान हो रहे नक्शा पास करवाने वाले

लेटलतीफी के चलते अपने भवनों के निर्माण करवाने में लोग परेशान हैं। अब चूंकि नागरिकों का सीधा दखल भवन शाखा से समाप्त हो चुका है और आॅन लाइन नक्शा स्वीकृति आवेदन होते हैं,जो कि आर्किटेक्ट के द्वारा जमा किए जाते हैं। इनके जोरदार विरोध के बाद ही नगर निगम प्रशासन हरकत में आया था।

कंसलटेंट, इंजीनियर व आर्किटेक्ट कर चुके हैं विरोध

एवीआरएस-2 प्रणाली 2019 अगस्त से लागू की गई है। इसके पूर्व जिस प्रणाली से नक्शे पास किए जाते रहे हैं उसे प्रदेश शासन ने बदल दिया ताकि पारदर्शिता व आवश्यक औपचारिकताएं पूर्ण कर शीघ्र नक्शे पास हो सकें। इसका साफ्टवेयर अपलोड होने तथा जिम्मेदारों की समझ से परे होने के चलते इस काम में काफी विलंब होने लगा और आवेदनों की संख्या पेंडिंग होने लगी। इसी बीच निजी कंसलटेंट,इंजीनियर व आर्किटेक्ट जनों ने नक्शे पास न होने पर कई बार निगमायुक्त से भेंटकर व्यवस्था सुधारने की मांग की।