जी-सोनी के मर्जर में आया नया पेंच, एक्सिस फाइनेंस ने एनसीएलएटी में दायर की याचिका
कंपनी ने कहा- एनसीएलटी ने याचिका को रद्द करते समय नहीं बताया कारण

नई दिल्ली। एनसीएलटी से हरी झंडी मिलने के बावजूद, जी-सोनी का मर्जर एक बार फिर अटकता दिख रहा है। एक्सिस फाइनेंस ने जी-सोनी मर्जर में एनसीएलटी की मुंबई बेंच द्वारा दिए गए फैसले के खिलाफ दिल्ली में नेशनल कंपनी लॉ एपीलेट ट्रिब्यूनल (एनसीएलएटी) में याचिका लगाई है। एक्सिस फाइनेंस ने अपनी याचिका में कहा कि जी-सोनी मर्जर को एनसीएलटीअवैधानिक, अनुचित और अन्यायपूर्ण बताने में नाकामयाब रही, जबकि मर्जर को अनुमति देने वाला आदेश पुनीत गोयनका के खिलाफ सेबी के आदेश का उल्लंघन था। याचिका में कहा गया कि एनसीएलटी ने उनकी एप्लीकेशन को रद्द करते हुए कोई कारण नहीं बताया, जिसके चलते इस फैसले को बदला जा सकता है। पुनीत गोयनका की नियुक्ति अयोग्य होने के बाद भी उस पर विचार नहीं हुआ : एक्सिस फाइनेंस द्वारा दायर की गई याचिका की अनुसार, एनसीएलटी ने मर्जर स्कीम के एक अहम हिस्से पर विचार नहीं किया, जिसके तहत मर्ज एंटिटी के सीईओ और मैनेजिंग डायरेक्टर के तौर पर पुनीत गोयनका की नियुक्ति किया जाना था। इसकी अनुमति नहीं दी जा सकती है, क्योंकि सेबी ने पुनीत गोयनका को किसी भी नियुक्ति लेने के लिए अयोग्य करार दिया है। मर्जर स्कीम को इस मुद्दे को सुलझाए बिना इजाजत नहीं दी जा सकती है। याचिका के मुताबिक, एनसीएलटी ने ये नहीं सोचा कि अगर स्कीम को एक बार अनुमति दे दी जाती है, तो इसके एक अहम हिस्से में बदलाव नहीं किया जा सकता है। लोन एग्रीमेंट और बैंक स्टेटमेंट के मुताबिक, गोयनका की कंपनियों ने आवेदक से पैसा उधार लिया था। इस साल अगस्त में सभी आपत्तियों को खारिज करते हुए एनसीएलटी ने जी-सोनी मर्जर को अनुमति दे दी थी। ट्रिब्यूनल 10 जुलाई से मामले की सुनवाई कर रहा था।
गोयल की कंपनियों ने कर्ज चुकाने में किया डिफॉल्ट
एक्सिस फाइनेंस ने अपनी याचिका में कहा कि गोयनका कंपनियों को जारी किए गए लेटर से ये साफ हो जाता है कि इन कंपनियों ने कर्जों को चुकाने में डिफॉल्ट किया है। एक्सिस फाइनेंस के मुताबिक, उसका Cyquator पर 61 करोड़ रुपए और Primat पर 82 करोड़ रुपए का कर्ज है।
आरोप, मर्जर स्कीम की डिजाइनिंग लेंडर्स को भ्रम में रखने की कोशिश है
एक्सिस फाइनेंस द्वारा फाइलिंग में लगाए गए एक और आरोप के मुताबिक, जी ने Cyquator के एक्शन से सुरक्षित रहने और लोन के रिपेमेंट से बचने के लिए कंपनियों की कई लेयर्स बनार्इं और मर्जर स्कीम की डिजाइनिंग लेंडर्स और पब्लिक शेयरहोल्डर्स को भ्रम में रखने की कोशिश है। एक्सिस फाइनेंस ने कहा कि जी एंटरटेनमेंट के शेयरहोल्डर्स को नई एंटिटी में 48 प्रतिशत% हिस्सेदारी मिलेगी। ये जीएल में उनकी जितनी हिस्सेदारी थी, उससे कम है। प्रोमोटर ग्रुप का स्वामित्व भी 4 प्रतिशत से घटकर 2 प्रतिशत होना चाहिए, लेकिन प्रोमोटर्स नई एंटिटी में अपनी 4 प्रतिशत हिस्सेदारी बरकरार रखना चाहते हैं। ऐसा करने के लिए उन्होंने नॉन कंपीट पेमेंट मैकेनिज्म का इस्तेमाल किया। ज्ञात हो कि एक्सिस फाइनेंस के अलावा आईडीबीआई बैंक लिमिटेड ने भी एनसीएलटी एप्रूव्ड मर्जर के खिलाफ अपील दायर की है।