आईएएस बनने के बाद भी नहीं मिला कलेक्टरी का मौका, रिटायरमेंट करीब

आईएएस बनने के बाद भी नहीं मिला कलेक्टरी का मौका, रिटायरमेंट करीब

भोपाल । हर आईएएस का सपना होता है कि वह अपनी सर्विस के दौरान कम से कम एक बार कलेक्टर जरूर बने, लेकिन कई आईएएस अधिकारियों की ये हसरत पूरी नहीं हो पाती है। मप्र में ऐसे आधा दर्जन से ज्यादा अधिकारी हैं, जो राज्य प्रशासनिक सेवा से प्रमोट होकर आईएएस बने। इन अधिकारियों की रिटायरमेंट करीब है, लेकिन अब तक इन्हें कलेक्टर बनने का मौका नहीं मिल सका है। ऐसा नहीं है कि उन्हें कलेक्टरी का अनुभव नहीं है, लेकिन यह सरकार के ऊपर है कि वह किसे कलेक्टर बनाती है और किसे नहीं। ऐसे तीन आईएएस अफसर हैं, जो हाल ही में बिना कलेक्टर बने ही रिटायर हो गए।

 एक दशक बाद बनी यह स्थिति

जानकारी के अनुसार, करीब एक दशक बाद इस तरह की स्थिति बनी है। करीब 10 साल पहले वीके सिंह भी ऐसे प्रमोटी आईएएस थे, जो कलेक्टर नहीं बन सके और रिटायर हो गए। जबकि उनके बैच के सभी प्रमोटी अधिकारी कलेक्टर बन गए थे। इसके अलावा कुछ आईएएस अधिकारी ऐसे हैं, जिन्हें कलेक्टर बनने का मौका तो मिला, लेकिन काफी कम समय के लिए। इनमें शैलबाला मार्टिन, राजेंद्र सिंह, सुनीता त्रिपाठी, अरुणा गुप्ता, राजीव शर्मा, अल्का श्रीवास्तव, राजेश कुमार जैन, नागेंद्र प्रसाद मिश्रा, सीधी भर्ती की जीवी रश्मि, स्वतंत्र कुमार सिंह आदि शामिल हैं।

इन्हें नहीं मिला कलेक्टर बनने का मौका

भगत सिंह कुलेश: 2005 में आईएएस प्रमोट हुए। वर्तमान में रीवा में संभागीय अपर आयुक्त पदस्थ हैं। 30 नवंबर 2020 को रिटायर हो जाएंगे।  आशकृत तिवारी: 2006 में आईएएस प्रमोट हुए। वर्तमान में नर्मदापुरम सभांग में अपर आयुक्त हैं। 28 फरवरी 2021 को रिटायर होंगे।  रवि डफरिया: 2006 में आईएएस प्रमोट हुए। वर्तमान में गैस राहत विभाग में अपर सचिव पदस्थ हैं। 30 जून 2020 को होेंगे रिटायर। अमर सिंह बघेल: 2004 में आईएएस प्रमोट हुए। शहडोल में अपर आयुक्त हैं। 30 अप्रैल 2021 को रिटायर होंगे।

 ये हो चुके रिटायर

उपेंद्रनाथ शर्मा: राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारी हैं। 2007 में आईएएस प्रमोट हुए। हेल्थ में डिप्टी सेक्रेटरी के पद से 31 अगस्त 2019 को रिटायर हो गए।  पतिराम कतरोलिया: 2004 में आईएएस प्रमोट हुए। 31 मार्च 2020 को अपर आयुक्त उज्जैन पद से रिटायर हुए।  सभाजीत यादव: 2006 में आईएएस प्रमोट हुए। रीवा में नगर निगम कमिश्नर थे। एक मामले में सरकार ने सस्पेंड कर दिया था। सस्पेंशन के दौरान 30 अप्रैल 2020 को रिटायर हो गए।

 सीनियर होने के बाद भी इन्हें नहीं मिली कलेक्टरी

 2007 बैच के संजय गुप्ता, बेलादेवर्षि शुक्ला, 2008 बैच की उर्मिला सुरेंद्र शुक्ला, 2009 बैच के आशीष कुमार, वंदना वैद्य, 2010 बैच के चंद्रशेखर वालिंबे, सुरेश कुमार, अनिल कुमार खरे, सीधी भर्ती की 2011 बैच की आईएएस नेहा मारव्या सीनियर होने के बाद भी कलेक्टर नहीं बन सकीं। वहीं राप्रसे से आईएएस बने 2009, 2010 और 2011 बैच के कई आईएएस अधिकारी कलेक्टर बन चुके हैं।

 पोस्टिंग पॉलिसी में सरकार को सुधार करना चाहिए

सर्विस प्लान के तहत हर ऑफिसर को कलेक्टर बनने का मौका मिलना चाहिए। इसकी कॅरियर प्लानिंग भी होनी चाहिए और सीनियर को एक बार जरूर जिला मिले। यदि ऐसा नहीं हो रहा है, तो पोस्टिंग की पॉलिसी में सुधार की जरूरत है। केएस शर्मा, पूर्व मुख्य सचिव, मप्र