कभी शिक्षक ने दी थी फीस, अब छात्र ने गुरुदक्षिणा में दी बुलेट
ग्वालियर में दिखी टीचर और स्टूडेंट के प्रेम-सम्मान की मिसाल, पहली सैलरी से किया गुरु का आदर

ग्वालियर। जिस प्रकार कलाकार साधारण से दिखने वाले पत्थर को छेनी और हथोड़े से तराशकर सुंदर मूर्ति में बदल देता है, उसी प्रकार एक शिक्षक भी छात्र पर मेहनत करके उसे सफल बना देते है, लेकिन ऐसे शिक्षक कुछ ही होते हैं जो छात्र को विद्यादान के साथ साथ आर्थिक तौर पर मदद करते हैं। ऐसे ही शिक्षक हैं शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय क्रमांक-1 के शिक्षक उमेश पाठक। वे होनहार छात्रों की पढ़ाई का खर्चा उठाने से पीछे नहीं हटते। छात्र घनश्याम शिवहरे की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने पर उन्होंने छात्र को खुद पढ़ाया और अन्य विषयों की तैयारी के लिए कोचिंग की फीस दी। आईआईटी की तैयारी के लिए अपने खर्च पर कोटा भेजा। आईआईटी में सिलेक्शन होने के बाद छात्र की जब नौकरी लगी तो पहली सैलरी से उसने शिक्षक को बुलेट गिμट की।
पिता बोले, आपको भगवान की तरह मानता है :
उमेश बताते हैं कि घनश्याम के पिता ने कहा था कि वो उसे आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने के कारण कोटा नहीं भेज सकते। उन्होंने पूछा कितनी फीस है, घनश्याम ने बताया डेढ़ लाख रु.। इस पर उमेश ने कहा - जाने की तैयारी करो और उसे एक लाख रुपए दिए। बाद में कोचिंग ने 50 हजार की छूट दे दी।
आईआईटी गुवाहाटी में सिलेक्शन हुआ, 25 हजार रुपए दिए :
घनश्याम होनहार छात्र था, इसलिए उसका आईआईटी गुवाहाटी में सिलेक्शन हुआ है। फीस के 25 हजार रुपए कम पड़ रहे थे तो उसका फोन आया और मैंने मदद की। आईआईटी करने के बाद घनश्याम की ओला इलेक्ट्रिक बेंगलुरु में जॉब लगा तो मेरी खुशी का ठिकाना नहीं रहा।
एक अन्य छात्र राकेश आज असिस्टेंट लॉ ऑफिसर :
उमेश पाठक बताते हैं कि उनके छात्र राकेश ललित की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी। उसे 12वीं की पढ़ाई पूरी करने में मदद की। इसके बाद बीए और लॉ की पढ़ाई कराई। पढ़ाई का पूरा खर्चा उन्होंने उठाया। राकेश होनहार था, इसलिए नगर निगम में असिस्टेंट लॉ ऑफिसर है।