6 सालों में सिर्फ चार चौराहे ही जुड़ पाए आईटीएमएस से,बदहाल ट्रैफिक सिस्टम

6 सालों में सिर्फ चार चौराहे ही जुड़ पाए आईटीएमएस से,बदहाल ट्रैफिक सिस्टम

जबलपुर। 6 साल पहले शहर में इंटेलीजेंट ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम पर स्मार्ट सिटी ने 27 करोड़ रुपए खर्च कर शहर के 18 चौराहों को आधुनिक कैमरों से लैस करने और नियम तोड़ने वालों पर चालानी कार्रवाई करने की व्यवस्था शुरू की थी। इतने सालों के बाद भी न तो ये सिस्टम खुद को इंटेलीजेंट ही बना पाया और न ही मैनेजमेंट हो पाया। चौराहों पर ट्रैफिक सिस्टम आज भी बदहाल है।

आलम यह है कि 20 की बजाय मात्र 4 चौराहों को ही आईटीएमएस के कमांड कंट्रोल रूम से अटैच किया जा सका है। इनसे रोजाना 10 हजार चालान जनरेट किए जा रहे हैं। जिससे 50 लाख रुपए का जुर्माना वाहन चालकों को कोर्ट जाकर भरना होता है। इस व्यवस्था में भी खामी यह है कि सभी के पास चालान नहीं पहुंच पाते क्यों कि गलत नाम पते या वाहनों पर नंबर प्लेट की सही रीडिंग न हो पाने से केवल आईटीएमएस का ठेका लेने वाली कंपनी का तो भला हो रहा है मगर शासन को इसका वांछित लाभ नहीं मिल पा रहा है। नियम तोड़कर वाहन चलाने वालों पर भी भय नहीं बन पा रहा है।

इन चौराहों को किया लैस

स्मार्ट सिटी कंपनी ने शास्त्री ब्रिज ब्लूम चौक,बंदरिया तिराहा, रामपुर, कटंगा चौराहा,रानीताल, दमोहनाका, लेबर चौक, रद्दी चौकी, बल्देवबाग, गोरखपुर, अधारताल सहित अन्य चौराहों में जेंट्री गेट में हाई क्वालिटी के सीसी टीवी,लाउड स्पीकर लगाए हैं,लेकिन कंट्रोल एंड कमांड सेंटर के अधूरे काम के चलते चौराहों के कैमरे अभी तक कंट्रोल कमांड सेंटर से नहीं जुड़े हैं। इससे इन चौराहों पर रोज जाम की स्थितियां बनती हैं। केवल तीन पत्ती,रानीताल,दमोहनाका,बल्देवबाग चौक के चौराहे ही कंट्रोल कमांड सेंटर से लिंक हैं शेष में प्रक्रिया बाकी है।

ट्रैफिक पुलिस का एक कर्मी करता है वैरीफाई

नियमानुसार चालान करने का अधिकार केवल ट्रैफिक पुलिस को है लिहाजा एक ट्रैफिक पुलिस कर्मी कंट्रोल कमांड सेंटर में बैठता है जो इन चालानों को वैरीफाई कर सील लगाने का काम करता है। इसके बाद इन्हें वाहन रिकॉर्ड में दर्ज पते पर भेज दिया जाता है।

कुछ तकनीकी कमियों के चलते अन्य चौराहों को लिंक नहीं किया जा सका था जो अब जल्द ही किए जा रहे हैं। आईटीएमएस से शहर के यातायात को व्यवस्थित करने में बहुत मदद मिल रही है। रवि राव,प्रशासनिक अधिकारी, स्मार्ट सिटी कंपनी।