इतिहास बनाने की ओर अग्रसर हमारा चंद्रयान-3

इतिहास बनाने की ओर अग्रसर हमारा चंद्रयान-3

चेन्नई चांद के दक्षिणी ध्रुव को फतह करने को लेकर रूस और भारत के बीच की प्रतिस्पर्धा समाप्त हो चुकी है। अब इस मैदान में सिर्फ भारत ही बचा है। 47 साल के लंबे गैप के बाद रूस ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र पर उतरने के लिए जिस लूना-25 अंतरिक्ष यान का प्रक्षेपण किया था, वह क्रैश हो गया है। अब यदि चंद्रयान-3 सफल लैंडिंग करता है तो भारत अमेरिका, चीन और रूस के बाद यह उपलब्धि हासिल करने वाला दुनिया का चौथा देश बन जाएगा। इसके साथ-साथ चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर लैंड करने वाला पहला देश। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने पहले घोषणा की थी कि सॉफ्ट लैंडिंग के लिए पावर्ड डिसेंट 23 अगस्त को 05:45 बजे होगा। लेकिन बाद में एजेंसी ने इस समय को बदलकर शाम 06:04 बजे कर दिया है।

चंद्रमा का दक्षिणी ध्रुव ही क्यों : वैज्ञानिकों का मानना है कि यह ऐसा क्षेत्र जहां जमे हुए पानी और कीमती तत्वों के भंडार हो सकते हैं। यहां माइनिंग भी की जा सकती है। इसरो ने कहा कि बुधवार को शाम 6 बजकर 4 मिनट पर सॉफ्ट लैंडिंग होगी और सबकुछ ठीक रहा तो भारत अंतरिक्ष में नया इतिहास गढ़ देगा।

रूस ने की थी 12 दिन में लैंडिंग की कोशिश

रूस के लूना-25 को 14 जुलाई को लॉन्च किए गए चंद्रयान-3 की तुलना में काफी देर से प्रक्षेपित किया गया था। इसे इस तरह से डिजाइन किया गया था कि लूना-25 प्रक्षेपण के 12 दिन के भीतर 21 अगस्त को चंद्रमा पर उतरने वाला था। वहीं इसरो ने चंद्रयान-3 की 23 अगस्त को सॉफ्ट लैंडिंग की योजना बनाई है। इस तरह से चंद्रयान-3 प्रक्षेपण के 42 दिन बाद चंद्रमा की सतह पर उतरेगा। रूस की रोस्कोस्मोस अंतरिक्ष एजेंसी ने रविवार को कहा कि लूना-25 अंतरिक्ष यान अनियंत्रित कक्षा में घूमने के बाद चंद्रमा से टकराकर क्रैश हो गया। पायलट रहित अंतरिक्ष यान का लक्ष्य चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर पहली बार उतरना था।

चंद्रयान-3 की सॉफ्ट लैंडिंग एक यादगार क्षण है, जो न केवल जिज्ञासा बढ़ाता है, बल्कि हमारे युवाओं के मन में अन्वेषण के लिए जुनून भी जगाता है। - इसरो