95 हजार हेक्टेयर की जगह 36 हजार हेक्टेयर में धान की रोपणी

95 हजार हेक्टेयर की जगह 36 हजार हेक्टेयर में धान की रोपणी

ग्वालियर।मानसून की घोषणा हुए 36 दिन बीत चुके हैं लेकिन ग्वालियर जिले में अभी तक बारिश वर्ष 2019 की तुलना में 116 एमएम बारिश कम होने से अभी तक खरीफ में फसलों की बुआई 45 फीसदी भी नहीं हो पाई है। भितरवार और डबरा सर्किल में सबसे ज्यादा धान होता है लेकिन अभी तक 1 लाख 70 हजार हेक्टेयर में 95 हजार हेक्टेयर की जगह सिर्फ 36757 हेक्टेयर यानि 38.69 प्रतिशत ही धान की रुपाई हो पाई है। उड़द, तिल और बाजरा की बोवनी भी अटक गई है। किसान कह रहे हैं कि जब तक दिन में सूर्यदेव की तपिश ज्यादा रहेगी, धान का पौधा मुरझा जाएगा। धान के पौधे को ताकतवर होने के लिए बारिश जरूरी होती है। नहर से रुपाई हो जाती है फिर भी बारिश के बिना वह पौैधा मजबूत नहीं हो सकता। इसलिए ग्वालियर जिले में किसानों ने धान की रुपाई से हाथ खींच लिए हैं। वर्ष 2020 में खरीफ फसल के तहत 1 लाख 90 हजार हेक्टेयर में धान का लक्ष्य 95 हजार हेक्टेयर का तय किया गया था लेकिन धान की रोपणी सिर्फ 36757 हेक्टेयर में हो सकी है। डबरा और भितरवार के किसान इसे लेकर खासे परेशान हैं। भितरवार के कृषक अजीत रावत और डबरा के कृषक निहाल सिंह का कहना है कि नहर और बोर पंपों से हम लोग धान की रोपणी कर रहे हैं लेकिन बिना बारिश के यह सब नाकाफी है। जिले में खरीफ का लक्ष्य 1 लाख 70 हजार हेक्टेयर क्षेत्रफल में 95 हजार हेक्टेयर में धान की फसल होने का लक्ष्य है। जबकि 36757 हेक्टेयर में ही धान की रोपणी हो पाई है। खरीफ की अन्य फसलों का भी चक्र बिगड़ गया है। आनंद बड़ेनिया, जिला कृषि अधिकारी

बारिश लेट हुई तो सूख जाएगी फसलें

कृषक आनन्द सिंह करियावटी कहते हैं कि अभी तक 116 एमएम बारिश कम हुई है। अगर बारिश की यह गति रही तो दिक्कत आए बिना नहीं रहेगी। हालांकि मौसम विभाग के जानकार कहते हैं कि ग्वालियर में पिछले चार सालों में बारिश का चक्र गड़बड़ा गया है। अब ज्यादा बारिश जून-जुलाई में नहीं बल्कि अगस्त-सितंबर तक हो रही है। ऐसे में अगर बोवनी के समय बारिश नहीं हुई तो फसलों को काफी नुकसान होने से इंकार नहीं किया जा सकता।

तिल, उड़द और बाजरा की बोनी भी कम

जिले में तिल 19050 हेक्टेयर में 4670 हेक्टेयर, उड़द 20हजार 100 हेक्टेयर में 3547 हेक्टेयर,ज्वार 12 हजार हेक्टेयर में 5646 हेक्टेयर, बाजरा 18 हजार हेक्टेयर में 7432 हेक्टेयर में ही बोवनी हो पाई है। मक्का 350 हेक्टेयर में 122 हेक्टेयर, अरहर 500 हेक्टेयर में 340 हेक्टेयर कृषि क्षेत्र में ही बोवनी हुई है।