जान का खतरा उठाकर पिकनिक मनाने का जुनून, जोखिम भरी जगह पहुंचते हैं युवा

जान का खतरा उठाकर पिकनिक मनाने का जुनून, जोखिम भरी जगह पहुंचते हैं युवा

जबलपुर।  इसमें दो राय नहीं कि शहर के आसपास एक से बढ़कर एक पिकनिक स्पॉट हैं। जो प्रकृति की अनूठी सुंदरता से युक्त तो हैं मगर यहां जान का खतरा भी है। गत दिवस टेमर फाल में 2 युवाओं की मौत हो गई। हर साल इस तरह की घटनाओं से शहर दहलता है मगर युवा रिस्क लेने से बाज नहीं आते। शहर के आसपास न्यू भेड़ाघाट,टेमर फॉल, शहर से 45 किमी दूर दमोह जिले की अंतिम सीमा पर बसे ग्राम गुबरा से चार किमी दूर स्थित कटाव सिद्धधाम ऐसा स्थान हैं, जहां पर प्राकृतिक सौंदर्य एवं आस्था का अदभुत सौंदर्य नजर आता है। नदी के किनारे ऊंची-ऊंची पहाड़ियों पर बनी रहस्मयी गुफाएं, मंदिर एवं चारों ओर फैली हरियाली देखकर यहां आने वाला हर व्यक्ति शांति का विशेष अनुभव करता है। यह स्थान सिद्ध पुरूषों की तपोभूमि के लिए भी जाना जाता है। बताया जाता है कि यहां पर हजारों वर्षों से कई ऋषि, मुनियों ने यहां पर तपस्या की और यहीं पर सारा जीवन बिताया। साथ ही ब्रम्हलीन कटाव वाले दादा की तपोभूमि के नाम से भी यह स्थान प्रसिद्ध है। इसके लावा लोढ़ा पहाड़े वाले बाबा, सीताशरण महाराज जू ने भी इसी स्थान को अपनी तपोभूमि बनाया था। यही कारण है कि इस स्थान को एक चमत्कारिक सिद्ध स्थान के नाम से भी जाना जाता है। यहां पर दूर-दूर से लोगों का आना-जाना लगा रहता है। गुबरा से मझौली जाने वाले मार्ग पर स्थित कटावधाम ऊंची पहाड़ी क्षेत्र में है। एक पहाड़ी को काटकर रास्ता बनाया गया है इसीलिए इसका नाम कटाव धाम पड़ा। बसों को सावधानी से निकलना पड़ता है, क्योंकि जरा सी लापरवाही से सौ फीट गहरी नदी में गिरने का खतरा बना रहता है।

देखते ही बनते हैं पहाड़ियों पर बने ऊंचे-ऊंचे मंदिर

कटाव सिद्धधाममें विराजमान लाल मंदिर, दुर्गा माता मंदिर, मृगेंद्र नाथ मंदिर, पंचमुखी संकट मोचन मंदिर प्रमुख आस्था के केंद्र हैं। यह मंदिर पहाड़ियों की चट्टानों पर इस तरह सधे हुए हैं सैकड़ों वर्ष होने के बावजूद भी यह जस के तस खड़े हैं।दूसरी ओर नदी की कल-कल करती जलधारा के बीच रोजाना सैकड़ों लोग पिकनिक मनाते हुए देखे जा सकते हैं।

जलधारा के बीच हनुमान मंदिर

व यज्ञशाला दमोह-जबलपुर मार्ग पर गुबरा से मझौली जाने वाले मार्ग पर पड़ने वाला सिद्ध क्षेत्र कटाव में प्रकृति का अदभुत संगम देखने मिलता है। नदी की जलधारा के बीच हनुमान मंदिर व यज्ञ शाला है। यह स्थान बारह महीने श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण का केंद्र बना रहता है। संतों के सानिध्य में अखंड रामायण पाठ व धार्मिक आयोजन समय-समय पर होते रहते हैं। जिससे यह आस्था का प्रमुख केंद्र भी है।

पहाड़ के बीच से गुजरता रास्ता

कटाव चट्टानी पहाड़ों से बना हुआ है। यहां चट्टानों को तोड़कर रास्ता बनाया गया है। सपार्कार बना रास्ता पहाड़ी क्षेत्रों में स्थित रास्तों की याद दिलाते हैं। करीब पांच सौ मीटर का यह रास्ता पहाड़ और नदी के किनारे से गुजरता है। सकरा रास्ता होने के कारण यहां से एक साथ दो वाहन नहीं निकल पाते हैं। रास्ता खतरनाक होने के बाद भी यहांं की वादियां अनायास ही लोगों को फोटो क्लिक करने को थाम लेती हैं।