वाटर प्लस के खिताब में पोल, राजमाता चौराहे पर खुले में पांच दिनों से बह रहा सीवर

ग्वालियर। ग्वालियर को वाटर प्लस का तमगा मिलने में कितनी बड़ी पोल है, इसका खुलासा राजमाता चौराहे पर बीते पांच दिन से बहने वाले सीवर को देखकर लगाया जा सकता है। हालांकि खुले रूप से बहने वाले सीवर को सीएम डॉ. मोहन यादव की विजिट के दौरान छिपाने के लिए निगम अधिकारियों ने मौके पर हरा पर्दा (नेट) लगवाया था। ग्वालियर में ऐसी बहुत सी जगहें हैं, जो पोल खोलती हुई दिखाई देती हैं। जानकारों का कहना है कि वाटर प्लस देने की शर्तों में शहर में सीवर की समस्या नहीं होना अनिवार्य बताया गया है।
ग्वालियर विधानसभा क्षेत्र के वार्ड क्रमांक 29 के महलगांव क्षेत्र से राजमाता चौराहे तक लगभग 800 मीटर अंडर ग्राउंड नाले में सीवर निकासी की व्यवस्था है। जिसमें क्षेत्र में संचालित लगभग दो दर्जन से ज्यादा दूध डेयरियों के कारोबार के चलते 300 भैंसों व अन्य जानवरों द्वारा प्रतिदिन टनों गोबर व अन्य गंदगी को सीधे सीवर निकासी वाले सिस्टम में लाइनों के चेंबरों, नाली-छोटे नालों से खुले रूप में वर्षों से बहाया जा रहा है, इसमें गोबर-भूसे के साथ घरों से निकलने वाला कचरा लगातार सीवर जाम की समस्या पैदा कर रहा है। जिसके चलते सफाई होने के कुछ दिनों बाद राजमाता चौराहे पर गंदे पानी का बहाव व भराव होने पर राहगीरों को परेशान होते हुए देखा गया है।
मृत जानवर, गोबर के बोरे फंसे हैं नाले में: सफाई अमले की मानें तो अंडर ग्राउंड नाले की सफाई में पहले लगातार जाम होने पर गोबर-कचरे के अलावा मरे हुए जानवरों के शव तक फंसे निकाले गए हैं और अभी भी ऐसे ही बोरे फंसे होने पर सफाई कार्य नहीं हो पा रहा है। पांच दिन की मेहनत के बाद केवल 15 प्रतिशत गंदे पानी की निकासी हो पा रही है।
9500 में से 1250 अंक हुए पक्के
स्वच्छता सर्वेक्षण 2023 के लिए प्रदेश के शहरों को रैंकिंग देने के लिए सर्वे किया जा चुका है और स्वच्छता सर्वेक्षण 2023 अंक की परीक्षा में बनाए नियमों में सर्विस लेवल प्रोग्रेस के लिए 4525 अंक, सिटीजन वाइस के लिए 2475 अंक व सर्टिफिकेशन के लिए 2500 अंक सहित कुल अंक 9500 हैं और शुक्रवार को मिले वाटर प्लस के तमगे के बाद ग्वालियर नगर निगम के 1250 अंक रैंंिकंग में सुधार के लिए बिल्कुल पक्के हो गए हैं।
तीन दिन की मेहनत के बाद भी नहीं निकला हल
निगम अधिकारियों द्वारा बीते चार-पांच दिन से लगातार सीवर सेक्शन मशीनों व अन्य माध्यमों से लाइन निकासी की मशक्कत जारी है, लेकिन मशीन व अमला फेल होकर थक चुके हैं, लेकिन सफलता हाथ नहीं लगी है। हालात यह हैं कि सालों पहले नाले को अंडर ग्राउंड करने डाली गई सीसी को काटकर नाले में ब्लॉक बनाने की कोशिश शुरू की गई है, जिससे नाले में फंसी गंदगी को निकालकर पानी का बहाव शुरू किया जा सके।