कुचिपुड़ी में नाट्य शास्त्र और उड़िया नृत्य में प्रभु जगन्नाथ का किया गुणगान

कुचिपुड़ी में नाट्य शास्त्र और उड़िया नृत्य में प्रभु जगन्नाथ का किया गुणगान

 स्वाधीनता के अमृत महोत्सव के अवसर पर रवींद्र भवन में मातृभाषा मंच के द्वारा मातृभाषा समारोह का आयोजन किया गया। दो दिवसीय इस समारोह में विभिन्न भाषाई समाजों के पारंपरिक व्यंजन स्टालों का जायका राजधानीवासियों ने लिया, वहीं शाम की बेला में बौद्धिक विमर्श का आयोजन किया गया, जिसका विषय था, स्वाधीनता संग्राम का सर्वव्यापी एवं सर्व स्पर्शी स्वरूप। मुक्ताकाश मंच से विविधता में एकता का संदेश देती सांस्कृतिक प्रस्तुतियां दी गईं। शहर के प्रतिभागियों ने अलग-अलग राज्यों के लोक नृत्य व शास्त्रीय नृत्य की प्रस्तुति दी। मातृभाषा समारोह में आजादी का अमृत महोत्सव पर आधारित प्रदर्शनी और विभिन्न भाषाई समाजों के पारंपरिक व्यंजनों के स्टाल लगाए गए हैं। दो दिन देश के विभिन्न हिस्सों से आए असमी, उड़िया, कन्नड़, कश्मीरी, उत्तराखंडी, गुजराती, बंगाली, भोजपुरी, मराठी, मलयाली, राजस्थानी, सिंधी, हरियाणवी, पंजाबी, हिंदी, तेलुगू, नेपाली, तमिल आदि भाषाओं के कलाकार सांस्कृतिक प्रस्तुतियां देंगे।

मातृभाषा शिक्षा का श्रेष्ठ माध्यम

इस मौके पर संस्कृति, पर्यटन और अध्यात्म मंत्री उषा ठाकुर ने कहा कि विश्व में कई शोध यह प्रमाणित करते हैं कि प्रभावी और सार्थक शिक्षा के लिए मातृभाषा ही श्रेष्ठ माध्यम है। समाज और देश इसी से विकास कर सकता है। इस अवसर पर पूर्व न्यायाधीश और एमपीपीएससी के पूर्व चेयरमैन अशोक कुमार पांडेय, मातृभाषा मंच के अध्यक्ष एसके राउत, अमिताभ सक्सेना उपस्थित थे। समाज सेवी एवं विचारक दीपक विस्पुते ने कहा कि भारतीय स्वाधीनता आंदोलन के कई अनछुए पहलुओं और ऐतिहासिक घटनाओं का प्रमाणिकता के साथ उल्लेख करते हुए कहा कि यह संघर्ष हमारी समझ से कहीं अधिक व्यापक, मजबूत और त्यागपूर्ण था। उन्होंने कहा कि भारत का स्व ही भारत को जिंदा रखता है। यदि यह स्व हमने मिटा दिया तो हम भी कमजोर हो जाएंगे।

17 वीं सदी की रचना की प्रस्तुति

वेणुगोपालन व ग्रुप द्वारा आंध्र प्रदेश के कुचिपुड़ी नृत्य को प्रस्तुत किया गया। 17वीं सदी के इस नृत्य में नाट्यशास्त्र पर आधारित नृत्य नाटिका पेश की, जिसमें शिव पुत्र गणेश, पवनसुत हनुमान और कृष्ण की सुंदरता को कमल और अमृत के संयोजन से दर्शाया गया। ???? आज का कार्यक्रम: 27 फरवरी: दोपहर 2 बजे युवा संवाद व शाम 6 बजे से सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे।

भरतनाट्यम नृत्य में दी पुष्पांजलि

रंगारंग कार्यक्रम से सजी इस संध्या का शुभारंभ किया गया, केरी केरी सुना डूबा...बोलों से सजी उड़िया नृत्य प्रस्तुति से,जिसे संघमित्रा पाणी व उनकी 14 शिष्याओं ने प्रस्तुत किया। इस प्रस्तुति के माध्यम से जगन्नाथजी का गुणगान किया गया। रेवती शास्त्री ने भरतनाट्यम डांस फार्म में पुष्पांजलि की प्रस्तुति दी, जिसमें उनकी 8 शिष्याओं ने देवी देवताओं को पुष्प अर्पित कर उनका अभिनंदन किया। इसके बाद कुचिपुड़ी नृत्य की प्रस्तुति का कंपोजिशन बाला मुरली कृष्णा द्वारा किया। सिंधु धौलपुरे द्वारा नृत्य नाटिका का निर्देशन किया गया।