फिर से 140 रु/माह ऊर्जा प्रभार वसूलने की तैयारी

फिर से 140 रु/माह ऊर्जा प्रभार वसूलने की तैयारी

भोपाल। बिजली खर्च नहीं करने या खपत शून्य होने पर भी प्रदेश के घरेलू उपभोक्ताओं से 140 रुपए प्रति माह न्यूनतम ऊर्जा प्रभार वसूलने की तैयारी हो रही है। यह प्रावधान तब किया जा रहा है, जब मप्र विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 45 (3) क के तहत न्यूनतम ऊर्जा प्रभार का प्रावधान पूरी तरह से खत्म कर दिया गया है। दिलचस्प यह है कि तीनों बिजली कंपनियां हर साल न्यूनतम ऊर्जा प्रभार के नाम पर करीब 10 लाख उपभोक्ताओं से 1,000 करोड़ रुपए वसूलती हैं। मप्र पॉवर मैनेजमेंट कंपनी ने मप्र ऊर्जा नियामक आयोग को वर्ष 2022-23 के लिए टैरिफ पिटिशन सौंपी है। इसमें न्यूनतम ऊर्जा प्रभार 134 रुपए से बढ़ाकर 140 रुपए प्रतिमाह करने की अनुमति मांगी गई है। आयोग द्वारा 8 से 10 मार्च तक जबलपुर, इंदौर और भोपाल में की गई जनसुनवाई में न्यूनतम ऊर्जा प्रभार वसूलने का विरोध किया गया। असल में जिन लोगों के घर बंद हैं या इंडस्ट्री बंद है और जिनकी बिजली खपत शून्य रही है, उनसे यह चार्ज लिया जाता है। आपत्तिकर्ताओं का कहना है कि गुजरात और छत्तीसगढ़ में न्यूनतम ऊर्जा प्रभार नहीं वसूला जाता है। अब तो मप्र में नए इलेक्ट्रिसिटी एक्ट में भी इसे हटा दिया गया है। अब वसूली का कोई औचित्य नहीं है।

वसूली असंवैधानिक

इलेक्ट्रिसिटी एक्ट 2003 की धारा 45 (3) क के अनुसार न्यूनतम ऊर्जा प्रभार का कोई प्रावधान नहीं है। लेकिन मप्र पॉवर मैनेजमेंट कंपनी ने यह प्रभार जोड़ दिया है, जो असंवैधानिक है। - राजेंद्र अग्रवाल, पूर्व मुख्य अभियंता, जेनेको

ये कैसा शुल्क कोरोना काल में कई इंडस्ट्रीज बंद रहीं, लेकिन हजारों रुपए यह चार्ज देना पड़ा। अब इसे फिर बढ़ाने की तैयारी है। जब बिजली खर्च ही नहीं की तो किस बात का शुल्क? जनसुनवाई में हमने विरोध दर्ज कराया है। - योगेश गोयल, प्रतिनिधि, गोविंदपुरा इंडस्ट्रीज एसोसिएशन

महंगाई बढ़ रही है, बिजली कंपनी का खर्च भी बढ़ा

कोयले की कीमत बढ़ रही है। इसके अलावा पेट्रोल-डीजल सहित अन्य वस्तुओं के रेट कई गुना बढ़ रहे हैं। ऐसे में बिजली कंपनियों के भी खर्च बढ़ गए हैं। बिजली कंपनियां भी कॉमर्शियल आर्गनाइजेशन हैं। कहीं से तो खर्च निकालने पड़ेंगे। न्यूनतम ऊर्जा प्रभार तो 6 रुपए ही बढ़ाने का प्रावधान किया गया है। - संजय दुबे, प्रमुख सचिव ऊर्जा