राज्य से बाहर जाने वाली बसों के संचालन पर आगामी आदेश तक के लिए लगी रोक

जबलपुर । राज्य शासन ने अंतरराज्यीय बसों के संचालन पर तो अगले आदेश तक के लिए रोक लगा दी है मगर राज्य के भीतर चलने वाली बसों के संचालन के लिए भी अनिर्णय की स्थिति के चलते आम लोग सार्वजनिक परिवहन के लिए तरस रहे हैं। शहर के अंतरराज्यीय बस टर्मिनल में करीब 650 बसों के पहिए जाम हैं। आॅपरेटर अपनी मांगों को लेकर इस कदर अड़े हुए हैं कि वे बसों का संचालन किसी कीमत पर नहीं करना चाहते। गौरतलब है कि शहर से अंतराज्यीय यानि अन्य राज्यों के लिए चलने वाली बसों कीसंख्या तो बेहद कम है और आधा सैकड़ा के करीब ही बसें राज्य से बाहर जाती हैं मगर ज्यादातर बसें राज्य के अंदर के जिलों में संचालित होती हैं जहां ज्यादातर जगह ट्रेन रूट भी नहीं है ऐसे में नागरिकों को सस्ता परिवहन इन्हीं बसों से मिल पाता है। 21 मार्च के बाद से बसों का संचालन पूरी तरह से ठप है। बाद में राज्य शासन ने अनुमति 50 फीसदी यात्रियों के परिवहन पर दी थी मगर यह शर्त आॅपरेटरों को स्वीकार्य नहीं हुई। भुखमरी की कगार पर ढाई सौ से ज्यादा ड्रायवर-कंडेक्टर आईएसबीटी में संचालित बसों के आॅपरेटरों के अंतर्गत काम करने वाले ढाई सौ से अधिक चालक-परिचालक इन दिनों बसें संचालित न होने से भुखमरी की कगार पर हैं। विगत पखवाड़े जब जिला प्रशासन ने उन्हें एक दो दिन का राशन दिया तो उन्होंने लेने से इंकार कर दिया था। उन्हें बसें बंद होने के बाद आॅपरेटर वेतन भी नहीं दे रहे हैं।
निजी वाहन या टैक्सी से आ-जा रहे लोग
हालात यह हैं कि बसों का संचालन बंद होने से राज्य के बाहर या राज्य के अंदर के जिलों में जरूरी काम से आने-जाने वाले लोगों को निजी वाहन या टैक्सियों का उपयोग करना पड़ रहा है जो बेहद मंहगा पड़ता है। इस व्यवस्था में गरीब वर्ग तो टैक्सी का उपयोग कर ही नहीं पाता। काम होने पर आसपास के जिलों तक लोग दो पहिया वाहनों से भी आवाजाही करते नजर आ रहे हैं।
पैक जाती हैं राज्य के बाहर जाने वाली बसें
राज्य के बाहर जाने वाली बसों की संख्या भले ही कम है मगर ये पूरी तरह से पैक होकर चलती थीं। ये बेहद लग्जीरियस बसें होती हैं और इनमें सुविधाजनक ढंग से लोग यात्रा कर सकते हैं। आसपास के जिलों से भी अंतरराज्यीय बसों का संचालन होता है जिसमें छिंदवाड़ा,सिवनी आदि शामिल हैं।
इन मांगों पर अड़े आॅपरेटर
डीजल-पेट्रोल के बढे दामों के बाद किराया बढ़ाने की अनुमति मिले। ल्ल 50 फीसदी यात्रियों को लेकर चलने का निर्णय अस्वीकार। ल्ल मार्च से जुलाई तक बसें बंद रहने की अवधि का लाइसेंस शुल्क माफ हो। ल्ल दिसंबर तक आधी या कम राशि ली जाए।
फैक्ट फाइल
650 बसों का होता है आईएसबीटी से संचालन
250 चालक-परिचालक हैं बेरोजगार
25 से 30 हजार यात्री प्रतिदिन करते हैं आवाजाही
50 बसें चलती हैं राज्य से बाहर
106 दिनों से बंद है बसों का संचालन