अरबों के प्रोजेक्ट नहीं हुए पूरे और हरियाली भी उजाड़ दी

अरबों के प्रोजेक्ट नहीं हुए पूरे और हरियाली भी उजाड़ दी

भोपाल । राजधानी को जिस हरियाली ने ‘ग्रीन सिटी’ का तमगा दिलाया। उसी हरियाली का विनाश कर दो दशक से शहर में विकास का खाका खींचा जा रहा है। इसी का नतीजा है कि पिछले एक दशक में पब्लिक, कॉमर्शियल और हाउसिंग प्रोजेक्ट्स के लिए पांच लाख से ज्यादा पेड़ काट दिए गए। लेकिन, इनमें से कई प्रोजेक्ट अब तक पूरे ही नहीं हो सके। रिपोर्ट के मुताबिक 10 साल में शहर का 26 फीसदी ग्रीन कवर खत्म कर दिया गया है। चौंकाने वाली बात ये है कि शहर के ग्रीन कवर में 13 फीसदी की गिरावट तीन साल में आई है। व्यापक स्तर पर पेड़ों की कटाई वाले 9 स्थानों पर 225 एकड़ ग्रीन कवर खत्म किया जा चुका है।

9 फीसदी रह गया ग्रीन कवर 

बीते एक दशक में भोपाल में ग्रीन कवर 35 फीसदी से 9 फीसदी रह गया है। क्योंकि पांच सालों में ही भोपाल में तीन लाख से ज्यादा पेड़ काटे गए। इनमें ढाई लाख पेड़ों की उम्र 40 साल से ज्यादा थी। जबकि 95 हजार 850 पेड़ सरकारी प्रोजेक्ट्स के तहत हुए निर्माण कार्यों की भेंट चढ़ गए।

 इन प्रोजेक्ट के लिए पांच साल में काटे पेड़ 

1.प्रोजेक्ट पेड़ों की कटाई बीआरटीएस कॉरिडोर 5000 नर्मदा वॉटर प्रोजेक्ट 1000 सेंट्रल बिजनेस डिस्ट्रिक्ट टीटी नगर 5000 मंत्रालय विस्तार 600 शौर्य स्मारक अरेरा हिल 200 सिंगारचोली ब्रिज और सड़क चौड़ीकरण 1000 हबीबगंज स्टेशन 123 विधायक विश्रामगृह के निर्माण 1149 लेक व्यू फ्रंड प्रोजेक्ट 140 रातीबढ़-भदभदा रोड निर्माण 800 स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट टीटी नगर 1800 थर्ड रेल लाइन 800 33 गेमन : 5000 पेड़ कट 33 2009 तक अच्छी खासी हरियाली थी, लेकिन मौजूदा स्थिति में पेड़ नहीं बचे हैं। लगभग पूरे क्षेत्र में गेमन इंडिया प्रोजेक्ट के तहत निर्माण चल रहा है कुछ पूरा हो चुका है। यहां 5000 पेड़ों को काटा गया था। तुलसी नगर आटा चक्की क्षेत्र भी गेमन इंडिया से लगा हुआ है। इसमें 2009 तक दर्जनों एकड़ में अच्छी खासी हरियाली थी, जो मौजूदा स्थिति में नहीं बची है।

 ग्रीन बिल्डिंग : ग्रीनरी खत्म की 

2.वन विभाग ने ग्रीन बिल्डिंग के नाम पर 12 एकड़ में लगे 98 फीसदी पेड़ खत्म कर दिए। साल 2009 में सेकंड स्टॉप (लिंक रोड-2) में वन भवन बनाया गया। 600 अंक के आकार की इस बिल्डिंग को मप्र की पहली साइंटिफिक ग्रीन बिल्डिंग बनाने का दावा किया गया है, लेकिन इसके नाम पर 12 एकड़ में सालों पुराना ग्रीन कवर 98 फीसदी तक खत्म किया जा चुका ह

 स्मार्ट सिटी : 6000 पेड़ कटेंगे

 3.टीटी नगर में 342 एकड़ में एरिया बेस्ड डेवलपमेंट (एबीडी) प्लान के तहत निर्माण किया जा रहा है। यहां 6000 पेड़ काटे जाने हैं। स्मार्ट सिटी कंपनी का दावा है कि वह पेड़ों को शिμट करेगी। लेकिन दो सालों में बुलेवार्ड स्ट्रीट और अन्य निर्माण कार्यों के चलते स्मार्ट सिटी साइट के 25 एकड़ का ग्रीन कवर खत्म किया जा चुका है।

 लालघाटीसड़क : 1600 पेड़ काट 

4.लालघाटी- मुबारकपुर रोड डेवलपमेंट प्रोजेक्ट के तहत 1800 पेड़ों को काटा जाना है, इनमें से 1600 से ज्यादा पेड़ काटे जा चुके हैं। पेड़ों की उम्र 30 से 40 साल है।

 कलियासोत रोड : हरियाली नष्ट 

5.वाल्मी-कलियासोत डैम मार्ग पर 2.22 एकड़ में रोड के किनारे 2009 में भरपूर हरियाली थी। मार्ग के चौड़ीकरण के नाम पर सड़क किनारे चार एकड़ में लगे पुराने पेड़ खत्म किए जा चुके हैं। यहां नए प्रोजेक्ट आ रहे हैं और पेड़ों की कटाई जारी है। तीन दिन पहले ही चंदनपुरा गांव में एक बिल्डर ने कॉलोनी काटने के लिए जेसीबी से सैकड़ों पेड़ों को उखाड़ दिया था।

 बीआरटीएस : 2400 पेड़ काटे 

6.मिसरोद से बैरागढ़ तक 24 किमी लंबे बीआरटीएस कॉरीडोर के लिए सरकारी रिकार्ड के मुताबिक अकेले होशंगाबाद रोड पर ही 2400 पेड़ काटे गए थे। यहां सर्विस रोड और साइकिल ट्रैक का जिस जगह पर नजर आ रहा है, वहां लगभग 14 एकड़ का ग्रीन कवर खत्म हो चुका है। होशंगाबाद रोड पर आरआरएल से बीयू के बीच 1.71 एकड़ क्षेत्र में मुख्य सड़क के दोनों तरफ 2009 तक भरपूर हरियाली थी, खत्म हो गई है। इसी तरह बीयू से ज्ञान-विज्ञान भवन के बीच 5 एकड़ क्षेत्र में पेड़ काटे गए। बीआरटीएस बनाने को 5000 से ज्यादा पेड़ों को काटा गया।

हबीबगंज : 7 एकड़ ग्रीन कवर था 

7.रेलवे क्लेम ट्रिब्युनल से रेलवे स्टेशन द्वार तक 7 एकड़ में ग्रीन कवर था, जो 95 फीसदी तक खत्म किया जा चुका है। इसी तरह स्टेशन के मुख्य द्वार से हबीबगंज ओवरब्रिज (सावरकर सेतु) के बीच 10 एकड़ में घने पेड़ थे, जो 99 फीसदी तक खत्म हो चुके हैं। यहां प्लेटफार्म एक की तरफ 2009 में 10 एकड़ क्षेत्र हराभरा था। वर्ल्ड क्लास स्टेशन बनाने के कारण पेड़ कटने से 2019 में मैदान हो गया।

पेड़ों का कत्ल कर डेवलपमेंट हो रहा है तो दिखता क्यों नहीं?

जिस डेवलपमेंट के नाम पर हरियाली उजाड़ी जा रही है, वह नजर नहीं आ रहा। बरसों पुराने वृक्षों को काटकर दूसरे स्थान पर पौधरोपण से क्षति की भरपाई नहीं हो सकेगी। भोपाल में अब जितने वृक्ष बचे हैं, वह हमारी नहीं आने वाली पीढ़ियों की विरासत है। इसकी रक्षा करना हम सबकी जिम्मेदारी है। निर्मला बुच, पूर्व मुख्य सचिव