प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देना वर्तमान समय की आवश्यकता : कृषि मंत्री तोमर

प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देना वर्तमान समय की आवश्यकता : कृषि मंत्री तोमर

नई दिल्ली। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा है कि आज हमारा देश बहुत बड़े बदलाव से गुजर रहा है। हम 21वीं सदी का भारत देख रहे हैं, जिस पर पूरी दुनिया की नजरें और हमसे अपेक्षाएं हैं। दुनिया का बड़ा तबका भारत से सहारे की अपेक्षा करता है, फिर वह तकनीक हो, मैनपॉवर या खान-पीने की वस्तुएं। हम पर अपनी जरूरतें पूरी करने के साथ-साथ दुनिया के प्रति भी जिम्मेदारी है। यही कारण है कि कृषि क्षेत्र हमारे लिए काफी महत्वपूर्ण है और समय के हिसाब से इसमें जरूरी परिवर्तन करना भी आवश्यक है। तोमर ने यह बात एग्रीकल्चर टुडे ग्रुप द्वारा आयोजित बायोएग- 2023 कांफ्रेंस व अवार्ड्स समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में कहीं। तोमर ने कहा कि हर देश की कुछ न कुछ प्रधानता होती है, उसकी अनदेखी की जाती है तो असंतुलन की स्थिति बनती है। हमारी प्रधानता कृषि है, आज इस दिशा में तेजी से विचार की जरूरत है कि अपनी प्रधानता को और मजबूत कैसे बनाएं। जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आत्मनिर्भर भारत की बात कहते हैं, लोकल फॉर वोकल पर जोर देते हैं, एक जिला-एक उत्पाद को समर्थन देते हैं तो इनमें ये प्रधानता ही समाहित है। यह भी समझना होगा कि कृषि क्षेत्र देश के लिए प्रमुख है, क्योंकि प्रतिकूल परिस्थिति में भी यह देश के साथ खड़ा रहकर आगे बढ़ाने में योगदान देता रहेगा। कोविड कालखंड में हमने इसे महसूस किया है, जब बड़ी-बड़ी फैक्टरियों के पहिए थम गए, तब भी कृषि-किसान ने देश की जीडीपी का साथ दिया व करोड़ों लोगों को भोजन कराने में मदद की। कई मित्र देशों तक भी भारत से खाद्यान्न पहुंचा।

केमिकल फार्मिंग नुकसानदेह

तोमर ने कहा कि आज हम महसूस करने लगे हैं कि केमिकल फॉर्मिंग से जमीन की उर्वरा शक्ति कम होती है, जैविक तत्व नष्ट हो जाते हैं। जीव-जंतु व मनुष्य शरीर और पर्यावरण की दृष्टि से भी यह नुकसानदायक है। इससे खेती की लागत भी बढ़ रही हैं, जरूरी है कि हम समय रहते इस परिस्थितियों पर विमर्श कर अपने रास्ते सीमित करें और बदल सकते हैं तो बदलना भी चाहिए। विचार-विमर्श से ही जैविक व प्राकृतिक खेती की बात सामने आई है।

जैविक खेती में मप्र आगे

तोमर ने कहा सरकार ने भी जैविक खेती को प्रमोट किया और आज सिक्किम व मध्य प्रदेश जैसे राज्य इसमें अग्रणी भूमिका निभा रहे हैं। कृषि लागत कम करने, किसानों की आमदनी बढ़ाने में भी जैविक खेती कारगर है, वहीं प्राकृतिक खेती में तो लागत बहुत ही कम है। इसमें जो कुछ भी लगता है वह किसान के घर में ही मौजूद है। गाय, गोबर, गौमूत्र, पेड़, की मिट्टी, नीम की पत्तियां, गुड़ व बेसन ये सब किसान के घर में ही रहता है। इन्हीं से जीवामृत व बीजामृत तैयार होगा व प्राकृतिक खेती को बढ़ाया जा सकता है।