चीनी लोगों में प्रोटीन की कमी, अब कीड़े खिलाने का बना प्लान
बीजिंग। चीन में इन दिनों जानवरों और मछलियों को कीट-आधारित प्रोटीन खिलाने की योजना बनाई जा रही है। इसकी वजह ये है कि मत्स्यपालन और पशुपालन का कारोबार सिकुड़ रहा है। यही वजह है कि अब जानवरों और मछलियों को कीड़े खिलाकर उनकी आबादी बढ़ाने का प्लान है। आने वाले दिनों में चीन के लोगों की भी प्रोटीन की जरूरतों को पूरा करने के लिए कीड़े खिलाए जाएंगे। चीनी वैज्ञानिकों और इंटरनेशनल इंडस्ट्री एक्सपर्ट्स की मानें तो किचन में जैविक कचरे के जरिए तैयार किए गए कीड़े चीन की आबादी की प्रोटीन की जरूरत को पूरा करने के लिए ज्यादा टिकाऊ तरीका है। चीन में प्रोटीन जरूरतों को मीट, मछली और अलग-अलग जानवरों को खाकर पूरा किया जाता है। यही वजह है कि अब प्रोटीन के लिए कीड़ों की खेती होगी। ये ‘इंसेक्ट फार्मिंग टेक्नोलॉजी’ से संभव होगा।
ये है प्लानिंग
- चीन के घरों और रेस्तरां से बड़ी मात्रा में सब्जियों के छिलकों, पौधों वाला गीला कचरा निकलता है।
- इसमें से एक बड़े हिस्से को रिसाइकिल किया जाता है, लेकिन फिर भी कुछ हिस्सा बच जाता है।
- ‘इंसेक्ट फार्मिंग टेक्नोलॉजी’ के जरिए इस बचे हुए गीले कचरे में कीड़े पाले जाएंगे।
- कीड़े गीले कचरे को खाकर अपनी आबादी भी बढ़ाएंगे।
- बचे कचरे को साफ कर उसकी जगह उर्वरक तैयार करेंगे।
ब्लैक सोल्जर μलाई का हो रहा इस्तेमाल
- शंघाई अर्बन कंस्ट्रक्शन इंवेस्टमेंट कार्पोरेशन में दक्षिण अमेरिका में पाए जाने वाले ब्लैक सोल्जर μलाई (बीएसएफ) का इस्तेमाल कीड़ों की खेती के लिए किया जा रहा है।
- कीड़े की उम्र महज 35 दिन होती है।
- बीएसएफ के लार्वा के लिए गीले कचरे की व्यवस्था की जाती है।
- ये कीड़ा अपने जीवन के तीसरे स्टेज में पहुंचने पर प्रोटीन से भरा हुआ हो जाता है।
- बीएसएफ से निकलने वाली गंदगी में नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटेशियम की बहुत ज्यादा मात्रा होती है।
- साथ ही इसमें लाभकारी बैक्टीरिया भी होते हैं, जो एक नए तरह के जैविक उर्वरक को तैयार करते हैं।
- इस उर्वरक का इस्तेमाल खेती के लिए किया जा सकता है।
- प्रोटीन युक्त कीड़ों को जानवरों को खिलाया जा सकता है, ताकि उनकी प्रोटीन जरूरत पूरी हो सके।
कचरे में से निकाला जा रहा लार्वा :
शंघाई अर्बन कंस्ट्रक्शन इंवेस्टमेंट कार्पोरेशन में कीड़ों की खेती यानी ‘इंसेक्ट फार्मिंग’ की जा रही है। हालांकि, अभी चीन में ‘इंसेक्ट फार्मिंग’ अपने शुरुआती चरण में है लेकिन नीदरलैंड में ‘प्रोटीक्स’ नाम की एक कंपनी 65,000 टन कचरे को 14,000 टन लार्वा में बदलने का काम कर रही है।
कीड़ों से मिलने वाला प्रोटीन भविष्य के लिए बेहद जरूरी है। इसके जरिए पोषण भी मिलता है और पर्यावरण भी सुरक्षित रहता है। मछलियों और जानवरों को कीड़े युक्त भोजन खिलाने के फायदे दिखे हैं, उनकी सेहत में सुधार भी देखने को मिला है। - कीस आर्ट्स, सीईओ, प्रोटीक्स