राफेल और सुखोई दुनिया का सबसे विध्वंसक कॉम्बिनेशन

राफेल और सुखोई दुनिया का सबसे विध्वंसक कॉम्बिनेशन

नई दिल्ली |  राफेल की पहली खेप 29 जुलाई को भारत में पहुंच रही है।  फ्रांस के इन विमानों को आधिकाररिक तौर पर भारतीय वायुसेना में शामिल किया जाएगा। सुखोई एमकेआई30 के साथ मिलकर यह विमान बेहद घातक कॉम्बिनेशन बनाएगा। भारत और फ्रांस के पहले हुए युद्धाभ्यास के बाद वायुसेने ने कहा था कि सुखोई और राफेल एक बार साथ में आॅपरेट करना शुरू कर दें फिर किसी भी दुश्मन के लिए ये घातक कॉम्बिनेशन होगा। 

पीएम ने भी राफेल की जरूरत पर दिया था जोर


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी कहा था कि अगर राफेल विमानों की मौजूदगी रही होती तो हम आतंकी ठिकानों को और अधिक तबाह कर पाते। मार्च 2019 में लोकसभा चुनाव से पहले उन्होंने कहा था कि राफेल जेट की कमी पूरा देश महसूस कर रहा है। अत्याधुनिक तकनीक से लैस ये लड़ाकू विमान भारतीय वायुसेना की क्षमता को और ज्यादा बढ़ा देंगे।  अपनी मारक क्षमता के कारण इसे वायुसेना का ब्रह्मास्त्र भी कहा जा रहा है. 


सुखोई 30-एमकेआई की खासियतें


रूस में निर्मित सुखोई एमकेआई 30 लड़ाकू विमान इस वक्त भारतीय वायुसेना में सबसे घातक विमान है। ये उड़ान के दौरान ही फ्यूल भर सकता है। इस फाइटर प्लेन में 12 टन तक युद्धक सामग्री लोड की जा सकती है। साथ ही इस विमान में डबल इंजन लगे हुए हैं जो इमरजेंसी की स्थिति में पायलट को मदद करते हैं। सुखोई-30 एमकेआई एक बार में 3,000 किमी की उड़ान भर सकता है। रूस के सहयोग से भारत द्वारा निर्मित सुखोई-30 एमकेआई को दुनिया के सबसे ताकतवर लड़ाकू विमानों  में एक माना जाता है।
इसे बनाने के लिए भारत और रूस के बीच 2000 में समझौता हुआ था।  भारत को पहला सुखोई-30 विमान 2002 में मिला था। रूस के सहयोग से भारत ने 2015 में स्वेदश निर्मित सुखोई-30 एमकेआई को भारतीय वायुसेना में शामिल करके अपनी ताकत कई गुना बढ़ा ली। वर्तमान में भारत के पास 200 से ज्यादा सुखोई-30 एमकेआई विमान हैं।

इस विमान में है आॅटोमेटिक फ्लाइट कंट्रोल सिस्टम


लंबाई से लेकर रेंज और मिसाइल ले जाने की क्षमता तक के मामले में सुखोई-30 एमकेआई को अमेरिका एफ 16 से बेहतर माना जाता है। इसमें सैटेलाइट नेविगेशन सिस्टम लगा है, जो इसे किसी भी मौसम में दिन और रात दोनों वक्त काम करने के काबिल बनाता है। साथ ही इसमें लॉन्ग रेंज रेडियो नेविगेशन सिस्टम है। इसमें आॅटोमेटिक फ्लाइट कंट्रोल सिस्टम है। आॅटोमेटिक सिस्टम से नेविगेशन सिस्टम को जानकारी मिलते ही यह खुद ही फ्लाइट के रूट से जुड़ी समस्याओं को ही सुलझा लेता है। इसमें टारगेट को नेस्तनाबूद करने के साथ ही वापस अपने एयरफील्ड तक लैंडिंग करना शामिल है।

राफेल विमान की ताकत


राफेल एक फ्रांसीसी कंपनी डैसॉल्ट एविएशन निर्मित दो इंजन वाला मध्यम मल्टी-रोल कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (एमएमआरसीए) है। राफेल लड़ाकू विमानों को 'ओमनिरोल' विमानों के रूप में रखा गया है, जो कि युद्ध में अहम रोल निभाने में सक्षम हैं। ये बखूबी सारे काम कर सकता है- वायु वर्चस्व, हवाई हमला, जमीनी समर्थन, भारी हमला और परमाणु प्रतिरोध। कुल मिलाकर राफेल विमानों को वैश्विक स्तर पर सर्वाधिक सक्षम लड़ाकू विमान माना जाता है।
राफेल चौथी पीढ़ी का फाइटर जेट है। ये कई रोल निभाने में सक्षम कॉम्बैट फाइटर जेट है। ग्राउंड सपोर्ट, डेप्थ स्ट्राइक और एंटी शिप अटैक में सक्षम है। इसकी ताकत का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि ये छोटे न्यूक्लियर हथियारों को ले जाने में सक्षम हैं। राफेल एयरक्राफ्ट 9500 किलोग्राम भार उठाने में सक्षम है। ये अधिकतम 24,500 किलोग्राम वजन के साथ उड़ान भर सकता है। इस फाइटर जेट की अधिकतम रफ्तार 1389 किमी/घंटा है। एक बार में ये जेट 3700 किमी तक का सफर तय कर सकता है। ये हवा से हवा और जमीन दोनों पर हमला करने वाली मिसाइलों से लैस है। चीन के साथ विवाद के मद्देनजर भारत ने इसमें हैमर मिसाइल लगाने का फैसला भी किया है।