5 हजार साल पुराने मिट्टी के बर्तनों के अवशेष प्राचीन काल से करा रहे रूबरू
पुरातत्वविद नारायण व्यास ने सहेज रखे हैं बर्तन, स्कूल -कॉलेजों में लगाते प्रदर्शनी

कोलार में रहने वाले पुरातत्वविद नारायण व्यास ने सिंधु सभ्यता, ताम्र युग, इतिहास युग, मुगल काल और ब्रिटिश राज्य के मिट्टी के बर्तनों के टूटे हिस्से सहेज रखे हैं। व्यास कहते हैं कि यह उनका शौक है। रास्ते चलते हुए मेरी आंखें पुरातात्विक महत्व की वस्तुओं पर ठिठक जाती हैं। मेरे घर के हर कोने में पुरातात्विक वस्तुएं भरी हुई हैं। खास बात यह है कि इनके पास जो भी सामान है, उसके माध्यम से वे नई पीढ़ी को पुरातत्व की शिक्षा भी दे रहे हैं। इसके अलावा वह इन पुरातत्व सामान की स्कूल और कॉलेज में प्रदर्शनी भी लगाते हैं।
ताम्र पाषाण युग मिट्टी के बर्तन
ताम्र पाषाण युग के पात्र लाल रंग के पात्र होते हैं, अधिकांश इन पात्र में काले रंग की डिजाइन होती है। तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व से ब्रिटिश राज्य तक के इन पात्र का इस्तेमाल मनुष्य द्वारा किया गया। इस काल में मनुष्य पत्थर के औजार से तांबे के औजार का उपयोग करने लगे थे। इन बर्तनों के टूटे हिस्से इनके पास हैं।
सबसे खास मौर्य कालीन युग के बर्तनों के अवशेष
नारायण व्यास ने बताया कि मौर्यकालीन लगभग तृतीय शताब्दी (ई.पू) मिट्टी के पात्र जिन पर काला चमकदार लेपन है। इस प्रकार के पात्र तत्कालीन समय में उच्च वर्ग द्वारा प्रयोग में लिए जाते थे।
सिंधु सभ्यता के समकालीन हैं पात्र
सिंधु सभ्यता के बर्तनों के साथ ही मालवा के ताम्र युग के बर्तन व उनके टूटे हिस्से भी संभालकर रखे हैं। यह करीब 5 हजार साल पुराने हैं। कायथा संस्कृति के पात्र के बारे में माना जाता है कि यह पात्र सिंधु घाटी सभ्यता के पहले या समकालीन हो सकते हैं। इसके अलावा इतिहास युग के पहली और दूसरी शताब्दी के पात्र के टूटे हिस्से रखे हुए हैं। जिनकी स्कूल और कॉलेज में प्रदर्शनी लगाते हैं।
स्टूडेंट्स को देते पुरातत्व के महत्व की जानकारी
सन 2009 में पुरातत्व विभाग से अधीक्षण पुरातत्वविद के पद से रिटायर्ड हुआ था। मेरे पास जो मिट्टी के बर्तनों के टूटे हुए हिस्से हैं, वह मुझे साइट और नदी के किनारे से मिले हैं। इनकी प्रदर्शनी लगाकर स्टूडेंट्स को पुरातत्व की जानकारी देता हूं। -नारायण व्यास, पुरातत्वविद