नर्मदा को पुनर्जीवित करने एक्शन प्लान 2 हजार करोड़ रु. होंगे खर्च
पुष्पेन्द्र सिंह ♦ भोपाल। नर्मदा नदी की हद में आने वाले चार राज्यों मध्यप्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ के 98 हजार वर्ग किलोमीटर के बेसिन क्षेत्र का ट्रीटमेंट करने के लिए पांच साल का एक्शन प्लान तैयार किया गया है। लेकिन, इस प्लान के बनने के पहले ही मध्यप्रदेश में वानिकी का काम चल रहा है और अबतक नर्मदा नदी के किनारे डेढ़ करोड़ पौधे रोपे जा चुके हैं। वहीं भू- वैज्ञानिकों ने नर्मदा नदी के आसपास हो रहे अवैध माइनिंग के साथ बिगड़ते पर्यावरण पर गहरी चिंता जाहिर की है। इन्होंने ऐसे एक्शन प्लान होने की जरूरत पर जोर दिया है जिससे नर्मदा को वास्तव में बचाया जा सके। जबलपुर स्थित ऊष्ण कटिबंधीय वन अनुसंधान संस्थान ने नर्मदा पुनर्जीवन प्रोजेक्ट बनाया है। इसके अंतर्गत नर्मदा नदी के कुल 1,312 किलोमीटर का क्षेत्र लिया गया है। इसमें मध्यप्रदेश का 1,079 किलोमीटर का भाग है जो चार राज्यों में सबसे अधिक है। नर्मदा के कुल बेसिन 98,796 वर्ग किमी क्षेत्रफल में मध्यप्रदेश का हिस्सा 82,095 वर्ग किमी है। इसमें 32,400 वर्ग किलोमीटर वन क्षेत्र है।
खर्च होगी सर्वाधिक राशि, आजीविका पर जोर
एक्शन प्लान के अनुसार प्रोजेक्ट की कुल लागत 2,127.28 करोड़ है। इसमें मध्यप्रदेश में सबसे अधिक वानिकी कार्य में 1,482 करोड़ रुपए व्यय होंगे। नदी पुर्नजीवन के अन्तर्गत लोगों की आजीविका पर विशेष जोर दिया गया है। यानि स्थानीय समुदाय को भागीदार बनाते हुए उन्हें नवीनतम तकनीक से जोड़ना है। इसके साथ बेसिन, वन और जैवविविधता को बढ़ावा देना है।
ऐसे किया जाएगा ट्रीटमेंट
नर्मदा मुख्य नदी के दाएं और बाएं 2-2 किमी क्षेत्र में और सहायक 16 नदियों के 1-1 किमी क्षेत्र में ट्रीटमेंट किया जाना है। प्रदेश में नर्मदा की 16 सहायक नदियां हैं। यहां स्टॉप डेम बनाने, पुराने कुओं को रिचार्ज करना तथा ऐसे स्ट्रेक्चर तैयार करना है जिनसे पानी का रिसाव होते हुए नदी में मिलता रहे। एक्शन प्लान पर अब तक केंद्र सरकार से कोई आर्थिक मदद नहीं मिली है। राज्य शासन द्वारा ही अबतक करीब 112 करोड़ रुपए दिए गए हैं जिससे कार्ययोजना क्रियान्वयन के नाम पर वर्ष 2016-17 से कार्य चल रहे हैं।
मानव ही खतरा बन गया
नर्मदा नदी के आसपास अवैध माइनिंग लगातार बढ़ रही है। सेंट्रल वॉटर कमीशन के अनुसार 18 मीटर से घटकर मंडला के पास पानी का बहाव 3 मीटर तक रह गया है। नर्मदा की रेत 8-8 मीटर तक खोद ली गई है। नर्मदा के लिए मानव ही खतरा बन गया। -अशोक विश्वकर्मा, भूवैज्ञानिक
ज्यादा से ज्यादा पौधे लगाएं
नर्मदा नदी को पनर्जीवन के लिए जरूरी है कि नदी के आसपास बन रहे पक्के स्ट्रक्चर बंद हों, सीवेज का पानी रोका जाए। ज्यादा पौधे लगाए जाएं जिसे यहां पेड़ पानी को स्टोर कर सकें। -देवेन्द्र जोशी, भूवैज्ञानिक