बारिश में नासूर बनेगा सीवर लाइन का अधूरा काम 13 साल में नहीं हुआ पूरा

बारिश में नासूर बनेगा सीवर लाइन का अधूरा काम 13 साल में नहीं हुआ पूरा

जबलपुर । वर्ष 2007 से शहर में चल रहे सीवर लाइन प्रोजेक्ट के अधूरे रहने से हर साल की तरह इस बार भी दर्जनों जगह पर जलप्लावन तय है। पहले ही नगर निगम के स्वास्थ्य विभाग की लचर व्यवस्थाएं ऊपर से सीवर लाइन का धीमा काम शहर के लिए नासूर बन चुका है। अफसर आए और चले गए मगर इस महत्वपूर्ण परियोजना को पूरा करने का बीड़ा किसी ने नहीं उठाया। गौरतलब है कि लॉक डाउन पीरियड में प्रशासन ने सबसे पहले सीवर लाइन के अधूरे कामों को बारिश पूर्व निपटाने के लिए आदेश दिए थे। इसके साथ ही स्मार्ट सिटी के कामों और नगर निगम के प्रोजेक्टों को भी पूरा करने की अनुमति दी गई थी ताकि बारिश में शहर को परेशानी का सामना न करना पड़े। इस समयावधि में मजदूरों के बड़ी संख्या में हुए पलायन के कारण इन कामों को करने वाली कंपनियों को मजदूरों का तोड़ा हुआ नतीजतन हालात जस के तस बने हुए हैं। क्या है ट्रेंचलैस तकनीक ट्रेंचलैस तकनीक में सड़क के नीचे-नीचे ही खुदाई की जाती है। इसमें सड़क का ऊपरी हिस्सा पूरी तरह से सलामत रहता है,इसमें बाकायदा टैफिक चलता रहता है। ट्रेंचलैस तकनीक में बड़ी-बड़ी मशीनों का उपयोग किया जाता है। यह सड़क की ऊपरी सतह की बजाय समानांतर जाकर नीचे की ओर खुदाई करती है। अंदर ही अंदर यह मिट्टी,चट्टान आदि को काटती हुई सुरंग बनाती जाती है। यह काम दिल्ली की विचित्रा कंपनी को दिया गया है।

इन हिस्सों का डूबना तय

शहर के जिन हिस्सों में सीवर लाइन का काम हो चुका है उनकी पाइप लाइनों के जरिए कॉलोनियों व बस्तियों में भरनेवाले पानी के कारण हर बार जलप्लावन हो रहा है। इसका कारण यह है कि इन लाइनों को बिछा कर छोड़ दिया गया है। हर साल गोलबाजार, कछियाना, शांतिनगर, दमोहनाका,श्रीनाथ की तलैया, घमापुर आदि जगहों पर जलप्लावन होता है और इस बार भी होना तय माना जा रहा है।

ट्रेंचलैस तकनीक का पहली बार उपयोग

सीवर लाइन के लिए गड्ढे करने पहली बार स्मार्ट सिटी ने ट्रेंचलैस तकनीक का उपयोग किया है। इस तकनीक में मजदूरों की कम आवश्यकता पड़ती है। ऐसे इलाके जहां सीवर लाइन के रास्ते में बड़े नाले व पुलियें आ रही हैं। इसमें नालों को तोड़ने की जगह सीधे मशीन के द्वारा पाइप के बराबर गड्ढे कर दिए जाते हैं जिनमें पाइप फिट कर दिया जाता है। हालाकि यह तकनीक बेहद मंहगी है। इसमें 1 मीटर की खुदाई का खर्च 40 हजार रुपए आ रहा है। इसके पहले जेसीबी से खुदाई करवाकर पाइप लाइन डाली जाती रही है। हाल ही में इस तकनीक से आमनपुर गंगासागर मेन रोड में काम करवाया गया है।

फैक्ट फाइल

1100 किमी लंबाई में डलनी है सीवर लाइन

340 किमी हो पाया है अब तक सीवर का काम

2007 से शुरू हुआ था काम

586 करोड़ से चल रहे वर्तमान के सीवर कार्य

70 हजार घरों से हुआ अब तक सीवर लाइन का कनेक्शन

40 हजार रुपए प्रति मीटर आ रहा खुदाई का खर्च

370 मीटर ट्रैंचलैस तकनीक का खर्च 1.25 करोड़

250 मीटर लंबी आमनपुर रोड पर प्रयोग