स्मार्ट सिटी ने बदली तस्वीर, 5 सालों में कायाकल्प

जबलपुर। भरपूर बारिश के साथ ही शहर ने हरियाली की चूनर ओढ़ ली है। आंखों को सुकून देने वाला नजारा चारों ओर नजर आ रहा है। शहर पर प्रकृति पहले से ही मेहरबान होती रही है मगर अब पर्यावरण के प्रति आई जागरूकता का असर भी दिखने लगा है। खास तौर पर मदनमहल की पहाड़ी एक बार फिर से ऑक्सीजन जोन बन चुकी है। मुहिम बनाकर क्षेत्र को हरा- भरा करने की शुरूआत 5 साल पहले जबकि मदनमहल की पहाड़ी से हजारों की संख्या में कब्जे हटाए गए थे के बाद की गई थी।
इसमें तत्कालीन कलेक्टर छवि भारद्वाज और स्मार्ट सिटी ने खाली कराई गई पहाड़ी पर सघन रूप से पौधरोपण करवाया। पौधरोपण में जल्दी विकसित होने वाले पौधों को तरजीह दी गई। ड्रिप इरीगेशन से लेकर इनकी सुरक्षा के लिए ध्यान दिया गया और इससे एनजीओ को भी जोड़ा गया। नतीजा सामने है। यहां पर अब बड़े प्रक्षेत्र में सघन वन तैयार हो चुका है। पहले मदनमहल पहाड़ी को शहर की श्वास नलिका कहा जाता था जो कि यहां पर कब्जों के कारण कहीं रुंध कर रह गई थी।
डुमना नेचर में कारगर मियावाकी पद्धति
एशिया का सबसे बड़ा शहरी वन क्षेत्र होने का गौरव हमारे शहर को प्राप्त है। डुमना नेचर पार्क में 4 साल पहले मियावाकी पद्धति से कुछ एरिया में प्रयोग किया गया था जो कि जबर्दस्त सफल साबित हुआ है। यहां लगाए पौधों की हाइट 20 फीट तक पार कर चुकी है। इस पद्धति का विस्तार करना आवश्यक है,जिसकी ओर जिम्मेदारों को ध्यान देना होगा। यहां पहले से ही अच्छा वनीय अंचल मौजूद है।
उद्यानों पर दिया जा रहा ध्यान
शहर के उद्यानों और खाली जगहों पर भी पौधरोपण पर ध्यान दिया गया है जिसके कारण अब जगह-जगह हरियाली नजर आने लगी है। मदनमहल स्टेशन से कछपुरा ओवर ब्रिज की लिंक रोड को देखा जाए तो यहां पर खासा सघन वन तैयार हो चुका है वहीं डिवाइडर पर भी लगाए पौधे विकसित हो चुके हैं। विजय नगर मार्ग या अन्य मुख्य मार्गों के डिवाइडरों पर भी हरियाली दिख रही है।
शहर में पौधरोपण पर ध्यान दिया जा रहा है,पौधरोपण के साथ पौधों को विकसित करने और उनकी सु रक्षा पर भी ध्यान दिया जा रहा है। जगत बहादुर सिंह अन्नू,महापौर