प्रदेश सरकार अब लाएगी नई इलेक्ट्रिक व्हीकल पॉलिसी

प्रदेश सरकार अब लाएगी नई इलेक्ट्रिक व्हीकल पॉलिसी

भोपाल। प्रदेश सरकार नई-इलेक्ट्रिक व्हीकल पॉलिसी तैयार कर रही है। ये पॉलिसी वसुधा फाउंडेशन नई दिल्ली के सहयोग से इप्को तैयार करेगा। इसे तैयार करने में ईवी वाहन बनाने वाली कंपनियों, इलेक्ट्रिक उपकरण और बैटरी तैयार करने वाली कंपनियों के सुझावों को विशेष तौर पर नीति में शामिल किया जाएगा। सरकार ने वर्ष 2019 में इलेक्ट्रिक व्हीकल पॉलिसी जारी की थी, लेकिन पिछले तीन वर्षों में इलेक्ट्रिक उपकरणों और वाहनों की क्षमताओं में काफी बदलाव होने के कारण अब नए सिरे से ये पॉलिसी बनाई जा रही है। इसका ड्राμट तैयार होने के बाद आम जनता से भी सुझाव लिए जाएंगे। पॉलिसी में प्रदेश में कितने किमी के अंदर ईवी चार्जिंग स्टेशन बनाया जाए, वाहन चालकों को यहां किस तरह की सुविधाएं दी जानी चाहिए, जिससे की इस तरह के वाहनों को बढ़ावा मिले आदि बिंदुओं को पॉलिसी में तय किया जाएगा। इसके अलावा बैटरी स्वाइपिंग की सुविधा के क्या मानदंड होंगे, उपभोक्ताओं को बैटरी कैसे उपलब्ध कराई जाएगी। चूंकि वसुधा फाउंडेशन कई राज्यों में इस क्षेत्र में काम किया है, तो वह अन्य राज्यों में किए गए प्रयासों को भी साझा करेगा और वहां के मॉडल के संबंध में यहां के अधिकारियों को जानकारी देगा। वहीं इससे जुड़ी सुविधाएं उपलब्ध कराने वाली कंपनियों से भी यह पूछा जाएगा कि वे सरकार की तरफ से क्या सुविधाएं और संसाधन चाहती हैं। ईवी चार्जिंग स्टेशनों पर प्रति माह आने वाले बिजली के बिल के अलावा अन्य खर्च का आकलन किया जाएगा। आकलन के आधार पर यह देखा जाएगा कि निवेशक के यहां प्रति माह औसत कितने वाहन चार्जिंग के लिए आ रहे हैं। आय-व्यय के आधार पर टैरिफ तय किया जाएगा। ईवी चार्जिंग टैरिफ प्रति वर्ष रिवाइज भी की जाएगी।

सभी वाहनों का एक होगा चार्जर

पेट्रोल पंप, वाहनों में हवा भरने के नोजल की तर्ज पर सभी वाहनों के लिए एक ही चार्जर होगा। चीन सहित कुछ अन्य देशों में इस तरह के ईवी चार्जर का उपयोग अब होने लगा है। इसके चलते ईवी चार्जिंग स्टेशनों पर अलग-अलग चार्जर पॉइंट की जरूरी नहीं होगी। ईवी वाहन निर्माता कंपनियों के प्रतिनिधि भी सुझाव देंगे।

तय होगी टाइमलाइन

ईवी नीति में निवेशकों को बिजली कनेक्शन देने, पंचायतों और नागरीय निकायों को ईवी चार्जिंग, बैटरी स्वैपिंग के लिए जगह देने के लिए टाइमलाइन भी तय की जाएगी। हाइवे के किनारे बसे ग्रामीणों को भी इन कार्यों को करने के लिए प्रेरित किया जाएगा।