गैर परंपरागत स्रोत की बिजली में सतत बढ़ोतरी

इंदौर। हवा, पानी, धूप सभी प्राकृतिक हैं। प्राकृतिक देन मानव को काफी खुशहाल रखती है, यदि उनका अच्छा उपयोग किया जाए। मालवा में हवा बिजली बनाने के लिए काफी उपयुक्त है। इसी कारण मालवा क्षेत्र में पहाड़ी इलाकों में सौ स्थानों पर हवा से बिजली तैयार हो रही है। सभी स्थानों से बिजली पश्चिम क्षेत्र बिजली वितरण कंपनी को प्राप्त होती है। इन बिजली निमार्ताओं को अनुबंध के आधार पर भुगतान पावर मैनेजमेंट कंपनी जबलपुर की ओर से किया जाता है। मालवा में सबसे ज्यादा पवन ऊर्जा की क्षमता मंदसौर जिले की है, जहां 825 मेगावाट क्षमता की पवन चक्कियां लगी हैं।
इसके बाद देवास में 760 मेगावाट, तीसरे क्रम पर रतलाम में 635 मेगावाट, चौथे क्रम में शाजापुर में 410 मेगावाट, पांचवें क्रम में धार में 213 मेगावाट, छठे स्थान पर आगर 156 मेगावाट, सातवें स्थान पर उज्जैन 137 मेगावाट बिजली उत्पादन क्षमता रखता है। सबसे ज्यादा 29 इकाई रतलाम जिले में है, जबकि क्षमता सबसे ज्यादा मंदसौर की है। पवन चक्कियों के पंखे घूमने से राउटर के माध्यम से घर्षण के जरिए बिजली का उत्पादन होता है। करीब 100 स्थानों से बिजली 33 केवी लाइनों से मप्रपक्षेविविकं के फीडरों के माध्यम से लाइनों में पहुंचती हैं। यहां से विभिन्न स्थानों पर मांग के अनुरूप वितरित होती है। इन सभी स्थानों पर बिजली उत्पादन की अधिकतम क्षमता 3137 मेगावाट है।
बिजली कंपनी गैर परंपरागत स्रोत से बिजली उत्पादन में भी शासन की प्राथमिकता के अनुसार पूरी तरह सहयोग करती है। विंड एनर्जी सेंटरों से बिजली हमारी लाइन के माध्यम से आगे पहुंचती है। इनके प्लांट में जो बिजली खर्च होती है, उसका बिल वे हमें देते हैं। रूफ टॉप सोलर एनर्जी में भी कंपनी पूरी तरह सहयोगी बनी हुई है। -अमित तोमर, एमडी मप्रपक्षेविविकं इंदौर