ओबीसी आरक्षण की संशोधन याचिका पर 17 को सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट

ओबीसी आरक्षण की संशोधन याचिका पर 17 को सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट

भोपाल। प्रदेश में त्रिस्तरीय पंचायत एवं नगरीय निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण मामले में राज्य सरकार फिर सुप्रीम कोर्ट की चौखट पर है। सरकार ने इस बार मॉडिफिकेशन याचिका (संशोधन पीआईएल) दाखिल की है। इस पर 17 मई को सुनवाई की जाएगी। इसके पहले कोर्ट ने इन चुनावों में ओबीसी को आरक्षण देने के सरकार के प्रस्ताव को खारिज करते हुए राज्य निर्वाचन आयोग को 15 दिनों में अधिसूचना जारी करने के आदेश दिए थे। गृह एवं विधि विधायी मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने शुक्रवार को इस मामले की जानकारी मीडिया को दी। उन्होंने बताया कि सरकार ने अपनी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में पेश कर दी है। सरकार चुनाव कराने के लिए कृतसंकल्प है। उन्होंने कहा कि ओबीसी आरक्षण को यह स्थिति कांग्रेस के कारण बनी है। उन्होंने कहा कि ओबीसी आरक्षण को लेकर ट्रिपल टेस्ट रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में पेश कर दी गई है। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को आदेश पारित कर राज्य निर्वाचन आयोग से स्पष्ट कहा था कि अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) आरक्षण के बिना ही चुनाव कराए जाएं। ओबीसी आरक्षित सीटों को अनारक्षित श्रेणी में अधिसूचित किया जाए। दो सप्ताह के भीतर चुनाव की अधिसूचना जारी करें। इसमें अब विलंब नहीं होना चाहिए।

पांच साल में चुनाव जरूरी, छह माह तक बढ़ा सकते हैं

सुरेश महाजन सहित अन्य की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला सुनाया था। कोर्ट ने कहा था कि संविधान में स्पष्ट प्रावधान है कि पांच साल में चुनाव होने चाहिए। विशेष परिस्थिति में ये छह माह आगे बढ़ाए जा सकते हैं। इसका उल्लंघन करने का अधिकार न तो राज्य सरकार को है और न ही राज्य निर्वाचन आयोग को। कोर्ट ने फैसले में यह भी कहा कि जो राजनीतिक दल ओबीसी आरक्षण की तरफदारी कर रहे हैं वे अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षित सीटों को छोड़कर सामान्य वर्ग की सभी सीटों पर ओबीसी को टिकट देने को स्वतंत्र हैं। इसके बाद भाजपा और कांग्रेस ने 27% ओबीसी को टिकट देने की बात कही है।