सर्जरी टली, इलाज न मिलने से लौटे मरीज

जबलपुर। प्रदेशभर में एक साथ सरकारी व मेडिकल कॉलेजों के डॉक्टरों की हड़ताल को इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने अपना समर्थन दिया है। वहीं जूनियर डॉक्टरों ने भी बुधवार की शाम से काम बंद कर दिया है। सुबह से ही जिले के सभी शासकीय अस्पताल, स्वास्थ्य केंद्रों व मेडिकल कॉलेज में चिकित्सकों के काम बंद किए जाने से स्वास्थ्य सेवाएं बुरी तरह से चरमरा गई। हालात ये रहे कि दूरदराज जिलों से आने वाले मरीज परिसर में ही हड़ताल खत्म होने का इंतजार करते रहे। वहीं स्थानीय मरीज व उनके परिजनों ने हड़ताल को देखते हुए निजी अस्पताल में उपचार कराना बेहतर समझा। बताते हैं कि मेडिकल कॉलेज अस्पताल में करीब 50 से ज्यादा सर्जरी टाल दी गई हैं।
हड़ताल को देखते हुए संभागायुक्त अभय वर्मा सुबह-सुबह मेडिकल कॉलेज अस्पताल पहुंचे थे। जहां पर डीन डॉ. गीता गुईन व अधीक्षक डॉ. अरविन्द शर्मा के साथ उन्होंने केजुअल्टी व गायनिक, एनआरसी में व्यवस्थाओं का जायजा लिया। इधर मेडिकल कॉलेज अस्पताल परिसर में महासंघ के बैनर तले चिकित्सकों ने जमकर प्रदर्शन किया।
डॉक्टरों की हड़ताल नहीं सत्य का आग्रह है
बुधवार को आईएमए हॉल में पत्रकारों से चर्चा में आईएमए के प्रदेशाध्यक्ष डॉ. आरके पाठक ने कहा कि चिकित्सकों का काम बंद किया जाना हड़ताल नहीं है यह सत्य का आग्रह है। शासकीय चिकित्सकों के बिना कोई भी हेल्थ सिस्टम नहीं चल सकता है आज चिकित्सकों में इतना विरोधाभास क्यों है। जबलपुर अध्यक्ष डॉ. अमरेन्द्र पांडे ने कहा प्रदेश के मुख्यमंत्री तो चिकित्सकों की मांग मान रहे थे लेकिन कुछ आला प्रशासनिक अफसर नहीं चाहते जिसके कारण आज ये स्थिति बन रही है।
मानवता दिखाई डॉक्टरों ने किया पीएम
काम बंद के बीच मानवता दिखाते हुए जबलपुर मेडिकल कॉलेज अस्पताल के चिकित्सकों ने मरचुरी में आए शवों का पीएम किया। चिकित्सकों ने बताया कि रोजाना करीब 12 से 15 पीएम किये जाते हैं।
निजी अस्पतालों में रिजर्व रखे जायें बेड
शासकीय अस्पतालों व मेडिकल कॉलेज में चल रही काम बंद हड़ताल को देखते हुए जिले के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी ने सभी निजी अस्पताल संचालकों को निर्देशित किया है कि वे अपने यहां पर शासकीय अस्पतालों से रिफर होकर आने वाले मरीजों के लिए बेड को रिजर्व रखें।
एम्बुलेंस में तड़पते रहे मरीज
अस्पतालों में ये हालात रहे कि कोई मरीज ओपीडी में लेटा था तो कोई एम्बुलेंस में कराह रहा था। ये नजारा था सेठ गोविंददास जिला अस्पताल विक्टोरिया का। जहां पर सुबह से ही मरीजों का आना शुरू हो गया था। कुछ मरीज तो एम्बुलेंस के अंदर लेटे हुए थे। जिन्हें ऑक्सीजन लगी हुई थी।
चिकित्सकों ने किया प्रदर्शन
मांगों को लेकर हड़ताल पर गए चिकित्सकों ने महासंघ के बैनर तले डीन कार्यालय के सामने जमकर प्रदर्शन करते हुए अपना विरोध दर्ज कराया। चिकित्सकों का कहना था कि लंबे समय से डीएसीपी के लिए सरकार से मांग की जा रही है लेकिन अब तक सरकार इसके लिए कोई ठोस निर्णय नहीं ले पाई है।
दमोह निवासी जगदीश बंसल ने बताया मेरे बच्चे की तबियत ज्यादा खराब थी उसे दिखाने के लिए मेडिकल कॉलेज आए थे लेकिन यहां पर डॉक्टर नहीं है। स्टाफ ने बताया डॉक्टर हड़ताल पर हैं अब हड़ताल खत्म होने की राह देख रहे हैं।
मदन महल जबलपुर निवासी माया चौधरी ने बताया वे अपनी पेट की समस्या दिखाने के लिए मेडिकल कॉलेज अस्पताल आई थी लेकिन यहां पर डॉक्टर हड़ताल पर है अब उपचार के लिए निजी अस्पताल जाना पड़ रहा है।
सिवनी जिले से आए जुगल किशोर ने बताया एक हादसे में उनके दोनों पैरों में चोट आई थी। एक पैर में प्लेट डली है और दूसरे में प्लास्टर बंधा है। आज बुलाया था लेकिन यहां पर हड़ताल चल रही है। बाहर से आए हैं ओपीडी के गलियारे में हड़ताल खुलने का इंतजार कर रहे हैं।
जेडीए कॉलोनी जबलपुर निवासी गिरिजा सोनी ने बताया वे चर्म रोग से पीड़ित है और मेडिकल में उपचार के लिए अपने पति के साथ आई थीं। यहां पर जूडा ने उन्हें देखा सीनियर डॉक्टर नहीं मिले।