गोंड पेंटिंग के जरिए दुनियाभर में प्रकृति की बात, एब्सट्रेक्ट में सौंदर्य, शांति और धरोहरों की झलक
पेंटिंग के जरिए मनोभावों, विचारों, कला-संस्कृति, पर्यावरण और सामाजिक-राजनैतिक मुद्दों पर रोशनी डालने का प्रयास शहर के पेंटिंग आर्टिस्ट करते हैं। अपनी कला के जरिए वे न सिर्फ भारत में बल्कि विदेशी धरती पर भी सराहे जाते हैं क्योंकि कई विषयों पर दुनिया एकमत है। भोपाल के गोंड आर्टिस्ट से लेकर एब्सट्रेक्ट आर्ट में काम करने वाले कलाकारों की प्रदर्शनी लगातार दुनियाभर में आयोजित एग्जीबिशंस में प्रदर्शित की जा रहीं हैं, जिसमें वे ग्रुप शो में हिस्सा लेते हैं। वर्ल्ड आर्ट डे (15 अप्रैल) के मौके पर उनसे बात करके जाना कि कौन से विषय उनके दिल के करीब हैं, जिन्हें वे अपनी कला में उकेरते हैं और किन विषयों के जरिए वे देश-दुनिया में पहचाने जा रहे हैं।
स्विट्जरलैंड की एग्जीबिशन में चल रहा मेरी हेरिटेज पेंटिंग्स का प्रदर्शन
मैं एब्सट्रेक्ट व फिगरेटिव दोनों में काम करती हूं, लेकिन एब्सट्रेक्ट वर्क ज्यादा पसंद करती हूं। स्पेन, पेरिस, इटली, यूके, यूएस, ग्रीस, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, स्वीडन, डेनमार्क जैसे कई देशों में आयोजित एग्जीबिशन में मेरे चित्र प्रदर्शित होते हैं। मेरे चित्रों में इंडियन हेरिटेज, भारतीय महिलाएं, शांति, सौंदर्य, प्राकृतिक चुनौतियां व सुंदरता खास होती है। इन दिनों हेरिटेज पर बने मेरे चित्र स्विट्जरलैंड के ज्यूरिख में आयोजित आर्ट एग्जीबिशन में प्रदर्शित हो रहे हैं। जून के महीने में यहीं की बेसल सिटी में चित्र प्रदर्शित किए जाएंगे। भोपाल में कलाधर्मियों को अपनी एग्जीबिशन लगाने का स्पेस रंगायन आर्ट गैलेरी के माध्यम से साल 2007 से दे रही हूं। - प्रीति निगम, चित्रकार
इंडोनेशिया में प्रदर्शित होगी मेरी पेंटिंग
गोंड पेंटिंग में हमेशा ही प्रकृति प्रेम देखा जाता है, तो यह सिर्फ सुंदर चित्र बनाने का प्रयास नहीं है, क्योंकि हम खुद ट्राइबल एरिया से आते हैं, तो जानते हैं कि हर चित्र की एक कहानी है। मेरी इंडोनेशिया के बाली में पेंटिंग प्रदर्शित होने जा रही हैं, जिसमें मैंने पेड़ों के जीवन को दिखाया है। इस चित्र में लाल रंग पेड़ के जीवन पर मंडराते खतरे, सफेद रंग उसकी जिम्मेदारी और काला रंग बढ़ता प्रदूषण व कार्बन दिखा रहा है। - वेंकट रमन सिंह श्याम, गोंड चित्रकार
हाल में बनाई ताजुल मसाजिद के सामने की लाइव पेंटिंग
नामी कलाकार अपनी एक स्टाइल को फालो करते हैं, लेकिन मैं इसके विपरीत काम करता हूं। मैं 76 साल का हूं, तो मैं जिस दिन जो महसूस करता हूं या मेरी जो परिस्थिति होती है, उस मूड को चित्रित करता हूं। कुछ महीनों पहले फोटोग्राफी करते हुए ऊंचाई से गिर गया तो मैंने बेड पर लेटे हुए ही पेंटिंग की और साथ में कविता भी जेहन में आने लगी। हाल में ताजुल मसाजिद की लाइव पेंटिंग की और एब्सट्रेक्ट शैली में काम करता हूं। - आशीष भट्टाचार्य, चित्रकार