लेह में देखा इंडो-पाक बॉर्डर का आखिरी गांव ‘टैंग’, जोजिला पास पार करना रहा मुश्किल

लद्दाख जाने का सबसे अच्छा समय आपकी रुचि और क्षमता पर निर्भर करता है। लद्दाख अधिकतर भारतीय पर्यटकों की ट्रैवल लिस्ट में जरूर शामिल होता है। लद्दाख की खूबसूरती अपने आप में अनोखी है। चूंकि लद्दाख बेहद ठंडा इलाका है इसलिए आप अपनी ठंड सहने की क्षमता और रुचि के मुताबिक ही लद्दाख जाने की योजना बनाते हैं। लद्दाख में गर्मियों में भी न्यूनतम तापमान 7 डिग्री सेल्सियस तक रहता है हालांकि रात में तापमान माइनस में पहुंच जाता है। ऐसे ही अनुभव और जानकारी आईएम भोपाल से शहर के तीन बाइक राइडर्स उत्कर्ष मेश्राम,कुणाल गुप्ता और मोहित डोंगरे ने साझा की, जो कि 3600 किमी तक बाइक राइड कर अमृतसर, श्रीनगर, मनाली के साथ लेह-लद्दाख का अपना सफर करके भोपाल लौटे हैं। साल 2017 से बाइकिंग कर रहे उत्कर्ष ने बताया कि यह उनका लेह का पहला एक्सपीरियंस रहा उनके साथ कुणाल गुप्ता और मोहित डोंगरे भी साथ रहे। यह पूरी जर्नी 17 दिन की थी।
एशिया की सबसे बड़ी टनल के पास से गुजरे
उत्कर्ष ने बताया कि पहले हमने ट्रेन से अपनी बाइक्स दिल्ली भिजवाई। अमृतसर में पहुंचने के बाद हमने वहां बाघा बॉर्डर की परेड देखी और फिर पटनीटॉप के लिए निकल गए। पटनीटॉप करीब 280 किमी पड़ता है जो हमने 9 घंटे में कवर किया। पटनीटॉप में स्टे के बाद हम श्रीनगर के लिए निकल गए जहां दो दिन रुकने के साथ ही हमने वहां पहलगाम और गुलमर्ग बाइक से ही घुमा फिर वहां से कारगिल के लिए रवाना हुए। 13 मई को कारगिल जाते समय रास्ते में जोजिला पास पड़ता है वहां एशिया की सबसे बड़ी टनल तैयार की जा रही है। उसके लिए वहां ब्लास्टिंग की जाती है जिसके लिए हमें पांच किमी पहले रोक दिया गया। जोजिला पास को पार करने के दौरान बर्फ और बारिश के कारण 12 किमी का सफर करीब डेढ़ घंटे में तय किया। यह पूरी जर्नी का सबसे टफ पार्ट रहा। फिर नुब्रा वैली से इंडिया- पाकिस्तान बॉर्डर पर टैंग विलेज पहुंचे जो इंडिया का सबसे आखिरी गांव है।
पूरे दिन में सिर्फ रात के समय खाते थे खाना
जब भी बाइक से सफर करते थे, उस समय मैं और मेरे साथी राइडर्स ड्राई फ्रूट खाकर ड्राइव करते थे। ऐसा इसलिए क्योंकि दिन भर लंबी ड्राइव रहती हैं ऐसे में ज्यादा हेवी डाइट खाकर ड्राइव नहीं किया जा सकता। जब रात में कहीं हॉल्ट करते थे उस समय ही खाना खाते थे जहां भी अवेबिलिटी होती थी। -कुणाल गुप्ता, बाइकर
बर्फ, बारिश और धूल का करना पड़ा सामना
बाइक से इतनी लंबी दूरी तय करना बेहद कठिन होता है। करीब 17 दिन के सफर में बहुत लंबे टाइम तक ड्राइव भी की। वहीं कुछ जगहों पर तो 12 किमी के रास्ते पर भी सफर में डेढ़ घंटे का समय लगा क्योंकि बर्फ व बारिश का भी सामना करना पड़ा। आगे भी ऐसी एक्सपीडिशन प्लान कर जाने का प्लान है। - मोहित डोंगरे, बाइकर
15 किमी तक धकेली पंक्चर बाइक
उत्कर्ष ने बताया कि हमने एक अतिरिक्त बाइक लेह में रेंट पर ली थी। चार दिन के लिए जब यह बाइक ली तो पांगोंग झील से लेह की और वापस आ रहे थे तब रास्ते में चांगला पास के पास पंक्चर हुई, तो 15 किमी तक उसी स्थिति में धकेलकर लाए। जब उसका व्हील अलग हुआ तब हमने लोडिंग आटो मिलने उसे लोड कराकर वापस भेजा इस दौरान जर्नी के पांच घंटे खराब हुए लेकिन इस तरह की यात्रा में यह चुनौतियां आती ही हैं।