बिना फीस लिए जरूरतमंद बच्चों को सिखाया स्क्वैश; अब कोई ट्रेनिंग दे रहा, कोई नेवी टीम में

बिना फीस लिए जरूरतमंद बच्चों को सिखाया स्क्वैश; अब कोई ट्रेनिंग दे रहा, कोई नेवी टीम में

इंदौर। मप्र में स्क्वैश के एक ट्रेनर ने झुग्गी बस्तियों में रहने वाले बच्चों को बिना शुल्क के ट्रेंड कर दिया है। उनके तैयार किए हुए बच्चे आज कोच, रैफरी और इंडियन नेवी की टीम में हैं। एमपी स्क्वैश रैकेट एसोसिएशन के उपाध्यक्ष संजीव श्रीवास्तव ने अब तक जरूरतमंद वर्ग के करीब 50 बच्चों को बिना फीस लिए ट्रेंड कर अच्छे मुकाम पर पहुंचाने का काम किया है।

केस 1- सारांश पाटिल : 11 साल की उम्र में सारांश संजीव श्रीवास्तव के पास स्क्वैश की कोचिंग के लिए पहुंचा। उसका वजन 95 किलोग्राम होने के कारण लग रहा था कि वह खेल नहीं पाएगा। लेकिन जब ट्रेनिंग देना शुरू की तो तीन साल के अंदर सारांश नेशनल लेवल के टूर्नामेंट के लिए सिलेक्ट हो गया। उसका वजन भी 65 किलो हो गया था।

केस 2: रौनक यादव : रौनक सात साल की उम्र से ही स्टेडियम जाते थे लेकिन किसी खेल के लिए उन्हे गाइड करने वाला नहीं था। एक दिन उसने संजीव श्रीवास्तव से स्क्वैश खेलने की इच्छा जताई। परिवार की स्थिति जानकर रौनक को फ्री कोचिंग देना शुरू किया गया। इसके बाद आज वह इंडियन नेवी की टीम से स्क्वैश खेल रहा है।

केस 3: यशराज यादव : आठ साल की उम्र में यशराज ने स्क्वैश खेलना शुरू किया। ट्रेनिंग के दौरान से ही यशराज अच्छा खेलने लगा था। उसने कई टूर्नामेंट में अच्छा प्रदर्शन किया और आज वह स्क्वैश रैफरी है। इसके साथ ही वह राजधानी भोपाल के बिलाबॉन्ग हाई इंटरनेशनल स्कूल में कोच की भूमिका भी निभा रहा है।

स्क्वैश सिखाकर सर ने मेरी जिंदगी बदल दी

मैंने कभी सोचा नहीं था कि मैं कभी स्क्वैश खेल पाउंगा, मेरे मोहल्ले के कुछ लड़के स्क्वैश खेलकर आते थे तो मेरा मन भी होता था, लेकिन परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने के कारण सर से बात करने की हिम्मत नहीं होती थी। एक दिन मैंने सर को पूरी स्थिति बताई तो उन्होंने कहा कल से आ जाओ, तुम्हारी फीस नहीं लगेगी। संजीव श्रीवास्तव सर ने मेरी जिंदगी ही बदल दी। - सारांश पाटिल, स्क्वैश टीम प्लेयर