टैक्सी वालों का कारोबार सिर्फ 25%बचा, चालकों के सामने रोजी-रोटी का संकट

टैक्सी वालों का कारोबार सिर्फ 25%बचा, चालकों के सामने रोजी-रोटी का संकट

जबलपुर । कोरोना महामारी के कारण लॉकडाउन के दौरान सभी तरह की गतिविधियां थम सी गई थी, वहीं दूसरी ओर बसें,टैक्सी,टेवल्स की कार सिगमेंट्स की गाड़िया,आवागमन के संसाधन सहित सभी बंद था। लेकिन अब इन्हें उबरने के लिए समय लगेगा। अनलॉक के बाद टैक्सी,ओला-उबर का संचालन भले ही शुरू हो गया है, लेकिन चालकों को सवारियां मुश्किल से मिल रही हैं। हालत यह है कि सिर्फ 20 से 25 फीसदी लोग ही टैक्सी बुक कर रहे हैं। 75 फीसदी चालक ग्राहकों के इंतजार में 12-12 घंटे ड्यूटी कर रहे हैं। लोग संक्रमण की आशंका के चलते टैक्सी बुक करने से कतरा रहे हैं। गौरतलब है कि ऐसे हालात में जहां टेवल्स संचालक और टैक्सी वाले चालकोें की इतनी कमाई भी नहीं हो पा रही है कि वे घर परिवार चला सकें। इनदिनों खाने के लाले पड़े हैं। उन्हें सरकार से भी कोई मदद नहीं मिल रही है। दरअसल जबलपुर में करीब 4 हजार टैक्सियां संचालित है,जबकि बस स्टैण्ड भर में 5 सौ से अधिक कार सिगमेंट की गाड़िया टेवल्स वालों की संचालित हैं। वहीं अगर ओला की बाज की जाए तो इस सेक्टर में लगी सभी गाड़िया में मिलाकर 7 सौ से अधिक हैं। लेकिन सवारी न मिलने से आधी गाड़ियां बची है।

6 माह से हैं बेरोजगार

टैक्सी चालक पिछले 5 माह से कोरोना के चलते बेरोजगार है। अब जब टैक्सी को अनुमति मिल गई है तो उन्हें यात्री नहीं मिल रहे हैं। ऐसे में उनके लिए रोड टैक्स, फिटनेस के भी पैसों का संकट खड़ा हो गया है। चालकों की मांग है कि सरकार उनकी मदद करें।

टैक्सी का लोन चुकाना हो रहा मुश्किल

टैक्सी संचालकों ने कहना है कि कोरोना महामारी के कारण ड्राइवरों को उनका वेतन देना मुश्किल हो रहा है। वहीं दूसरी ओर बैंक से लोन लेकर टैक्सियां,कार खरीदी थी,जिसकी हर माह बैंक को किश्त भी चुकानी पड़ रही है। ऐसे हालात में वेतन और किश्त देना बहुत मुश्किल हो रहा है।