नम आंखों से शहर ने दी अमोल को अंतिम विदाई

नम आंखों से शहर ने दी अमोल को अंतिम विदाई

जबलपुर । अपने बेटे का चेहरा देखकर फिर से इस उम्मीद से उसकी ओर देखना कि बस अभी कुछ ही देर में उठ जाएगा, लेकिन जब वास्तविकता याद आती, तो मन भर जाता और कलेक्टर दीपक सक्सेना और उसकी धर्मपत्नी के आंखों में आंसू आ जाते। अभी भी उन्हें यह यकीन नहीं हो उनका बेटा अमोल अब इस दुनिया में नहीं है। यह बात मानना मुश्किल तो है, लेकिन सच है। अमोल की अंतिम यात्रा में पहुंचे लोगों की भी यही स्थिति थी कि वह इस हादसे की सूचना मिलने से स्तब्ध थे।

शाम को गौरीघाट में अमोल का अंतिम संस्कार किया गया। कलेक्टर दीपक सक्सेना के बेटे अमोल सक्सेना दिल्ली में हीटस्ट्रोक से तबीयत खराब होने कारण देहांत होने की जानकारी दी गई है। विस्तृत पीएम रिपोर्ट आने के बाद कारण का पता चलेगा। अमोल अच्छे लेखक और फिल्मों के समीक्षक भी थे। अमोल लेखन कार्य में इतना दक्ष था कि उन्होंने 9वीं कक्षा में एक उपन्यास लिख दी थी, जिसका प्रकाशन भी हुआ है।

शव वाहन में ही बैठे कलेक्टर और उनके परिजन

कलेक्टर दीपक सक्सेना की स्थिति संभलने जैसी नहीं थी, उन्हें दो तीन लोग सहारा दिए हुए थे, लेकिन फिर भी उन्होंने कहा कि वह उसी वाहन में बैठेंगे जिसमें उनका बेटा है, इसके बाद वह और उनके परिजन शव वाहन में ही बैठे।

लोग रोक नहीं पाए आंसू

कलेक्टर निवास पर यह नजारा देखकर कई लोग ऐसे भी थे जो अपने आंखो से आंसू छिपा नहीं पाए। कलेक्टर श्री सक्सेना को दिलासा देने की भी हिम्मत नहीं जुटा पा रहे थे। वहां मौजूद लोगों के हालात ऐसे हो गए थे कि कोई भी संवेदना तक व्यक्त नहीं कर पा रहा था, कलेक्टर और उनके परिजन के पास जो भी जा रहा था, वह कुछ देर उनके पास रुककर वापस हो जाता था।

शहर में बहुत तेजी से हुए लोकप्रिय

कलेक्टर श्री सक्सेना अपने कार्यों से बहुत तेजी से शहर में लोकप्रिय हुए, उनकी स्कूली बच्चों के लिए शुरू की गए पुस्तक मेला और फिर स्कूलों संचालकों पर सख्त कार्रवाई ने उन्हें अभिभावकों का हीरो बना दिया। उनके इस दुख में न केवल मंत्री, विधायक बल्कि अभिभावक भी शामिल थे, जो अमोल के अंतिम यात्रा में शामिल होने आए थे। इसके अलावा सोशल मीडिया में भी कई अभिभावकों ने संवेदनाएं व्यक्त की हैं।