परिवार ने जिसे थिएटर जाने से रोका, उसकी फिल्म ‘ बासन’ को कान्स में मिला अवॉर्ड
ग्वालियर। शहर से सटे ग्रामीण इलाके बरई के जंगल में शूट फिल्म ‘बासन’ के कान्स वर्ल्ड फिल्म फेस्टिवल में मिला बेस्ट इंडी फीचर फिल्म का अवार्ड। इस फिल्म को महज एक लाख रुपए के खर्च में तैयार किया गया। फिल्म को बनाने वाले डायरेक्टर डबरा के रहने वाले जितांक गुर्जर है। एक समय था, जब जितांक का परिवार उसके थिएटर के शौक से खासा नाराज था और उसे एक्टिंग सीखने से मना करता था। लेकिन, आज उनकी यही लगन उन्हें वैश्विक मंच पर पहचान दिला रही है। उनकी फिल्म को अंतर्राष्ट्रीय कान्स वर्ल्ड फिल्म फेस्टिवल में बेस्ट इंडी फीचर फिल्म का अवार्ड मिला है। फिल्म को अवॉर्ड मिलने से जितांक बेहद खुश हैं। ‘पीपुल्स समाचार’ से खास मुलाकात में उन्होंने बताया कि वे पिछले 11 साल से थिएटर से जुड़े है। इस दौरान उन्होंने कई स्टेज शो किए और एड फिल्म्स भी बनाई। बॉलीवुड फिल्म ‘जनहित में जारी’ में एक्टर विजय राज के साथ अभिनय किया।
बचपन का सपना फिल्म बनाकर किया साकार: उनका खुद एक फिल्म तैयार करने का सपना था। जबकि, उनके पास संसाधन के नाम पर केवल चंद मित्र और पैसे ही थे। उन्होंने बासन यानि बर्तन नाम से एक फिल्म की शुरुआत की। यह फिल्म गड़े हुए धन पर आधारित है। पूरी फिल्म की शूटिंग बरई के पास पावटा गांव में शूट की गई। जितांक बताते हैं कि इस फिल्म को बनाने के लिए पैसे नहीं थे। दोस्तों और परिचितों से आर्थिक तथा अन्य तरह की मदद ली। किसी तरह एक लाख रुपए जोड़े। फिल्म के कान्स में विजयी होने पर उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा।
मंदिर में रहे, गांव वालों ने बनाया खाना : जंगल में शूटिंग के दौरान वह गांव में पूरी टीम के साथ मंदिर में रहे। क्योंकि, होटल में ठहरने लायक पैसे नहीं थे। पूरी टीम को रोजाना खाना खिलाने के लिए ग्रामीणों की मदद से ही खाना भी बनवाया।
इनमें भी मिला अवॉर्ड
- इंडो फ्रेंच फिल्म फेस्टिवल
- अथवाकुर्वानी फिल्म फेस्टिवल
- रोम प्रिज्मा फिल्म अवॉर्ड
- लिफ्ट ऑफ फर्स्ट टाइम फिल्म मेकर सेशन
- सऊदी अरेबिया इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल
लोक कथाओं और धारणाओं पर आधारित है ‘बासन’
फिल्म कई लोककथाओं व धारणाओं पर आधारित है, जिसमें दो भाइयों की कहानी है। दोनों भाइयों में से एक सीधा सादा है और दूसरा लालची स्वभाव का। एक दिन सीधे वाले भाई को जंगल में एक चेतना पुकारती है, जिसे देहात में ‘माया’ कहा जाता है (माया गडेÞ धन को भी कहा जाता है), तब वह डर जाता है। धन की आवश्कता होते हुए भी वह उसके करीब नहीं जाता, लेकिन दूसरे भाई को पता चलता है, तो वह उस ओर चला जाता है। इसके बाद कई नकारात्मक परिणाम झेलने पड़ते हैं।