जंगल नहीं आ रहा था रास कान्हा से बाघ को भोपाल वन विहार भेजा

जबलपुर । कान्हा नेशनल पार्क में घोरेला रेंज के बाडेÞ में एक साथ से रह रहे बाघ सरन को भोपाल वन विहार भेज दिया गया है। ये वही बाघ है, जिसे करीब ढेड़ वर्ष पूर्व बैतूल के जंगल से लाकर बाडेÞ में रखा गया था। उल्लेखनीय है कि नर बाघ सरन बार-बार रिहायशी इलाके में भाग रहा था, ऐसे में उसे कान्हा में रखकर निगरानी की जा रही थी, जिसे लंबे चिंतन-मंथन के बाद वन विहार भेजने का फैसला लिया गया।
महाराष्ट्र से बैतूल पहुंचा था
उल्लेखनीय है कि बाघ सरन ने अक्टूबर-2018 में अमरावती जिले में दो लोगों को मारा था, दिसम्बर 2018 में भटक कर बैतूल आ गया था। इस नर बाघ को 11 दिसम्बर 2018 को बैतूल जिले के सारणी कस्बे के रिहायशी इलाके से रेस्क्यू किया था और सतपुड़ा टाइगर रिजर्व में छोड़कर इसे प्राकृतिक रहवास में रहने का एक अवसर भी प्रदान किया गया था, किन्तु इस बाघ की रिहायशी क्षेत्र में रहने एवं लौटने की प्रवृत्ति के कारण यह दोबारा रिहायशी क्षेत्र में पहुंच गया था। बाघ को 10 फरवरी 2019 को दोबारा बैतूल जिले के सारणी कस्बे के रिहायशी क्षेत्र से रेस्क्यू किया और कान्हा टाइगर रिजर्व के घोरेला बाड़े में रखा गया।
कान्हा में बाघ को निगरानी में रखा गया था, उसे जंगल में छोड़ा जा रहा था, लेकिन वह बस्ती-गांव में घुस रहा था, लिहाजा उसे वन विहार भेजने का फैसला लिया गया। - डॉ. संदीप अग्रवाल, वन्य-प्राणी चिकित्सक, कान्हा।